Chanakya Niti : चाणक्य नीति में जीवन के बारे में व्यावहारिक ज्ञान दिया गया है, जिसमें धर्म, संस्कृति, न्याय, शिक्षा और मानव जीवन से जुड़ी कईबातें शामिल हैं। इन बातों को समझकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को सरल और सुगम बना सकता है। आचार्य चाणक्य ने जीवन की नीतियों को व्यावहारिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जो राजा और प्रजा दोनों के लिए उपयुक्त हैं। उन्होंने अच्छे और बुरे व्यक्तियों के बीच अंतर भी स्पष्ट किया है। उनके अनुसार, सुशील व्यक्ति में अच्छे गुण जैसे शिक्षा और विद्या होते हैं और वह हमेशा अच्छे कार्य करता है, जबकि दुष्ट व्यक्ति में द्वेष, ईर्ष्या और मूर्खता होती है। चाणक्य नीति में ऐसे दुष्ट लोगों से दूर रहने की सलाह दी गई है। उनका कहना है कि दुष्ट लोग हजार सांपों से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं।
सांप से भी हजार गुना जहरीले होते हैं ये लोग
चाणक्य का मानना है कि दुष्ट व्यक्ति की बुरी दृष्टि से बचकर रहना चाहिए ताकि उसका नकारात्मक प्रभाव कम से कम हो। उन्होंने दुष्ट व्यक्ति को सांप से भी ज्यादा खतरनाक बताया है, क्योंकि सांप एक बार ही हमला करता है, जबकि दुष्ट व्यक्ति हर समय दूसरों को चोट पहुंचाता है। दुष्ट व्यक्ति से दूरी बनाकर ही जीवन में शांति और सुरक्षा पाई जा सकती है। चाणक्य का कहना है कि दुष्ट व्यक्ति का कोई भरोसा नहीं होता, वह बिना किसी कारण के भी दुख पहुंचाने की कोशिश करता है, जबकि सांप केवल तभी काटता है जब उसे उत्तेजित किया जाए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब राजा दुष्ट हो, तो प्रजा कभी खुश नहीं रह सकती। इसी तरह, दुष्ट मित्र, पत्नी या शिष्य के साथ जीवन में सुख और समृद्धि नहीं आ सकती। वह बताते हैं कि दुष्ट राजा का राज्य, दुष्ट मित्र का साथ, दुष्ट पत्नी का घर और दुष्ट शिष्य का शिक्षा संबंध दुख का कारण बनते हैं। इसके विपरीत, सुखी जीवन के लिए अच्छा राजा, अच्छे मित्र, योग्य पत्नी और सक्षम शिष्य की आवश्यकता होती है। इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाना चाहिए, जो हमारे सुख में विघ्न डालते हैं।
क्या कहती है Chanakya Niti
चाणक्य नीति में यह भी कहा गया है कि द्वेष और ईर्ष्या की भावना से बचना चाहिए। मूर्ख लोग विद्वानों से जलते हैं, निर्धन लोग धनियों से ईर्ष्या करते हैं, और वेश्याएं कुलीन परिवारों की महिलाओं से जलती हैं। चाणक्य का मानना है कि जो लोग वेदों, शास्त्रों और सदाचार को नष्ट करने की कोशिश करते हैं, वे बेकार कष्ट करते हैं। उनका ऐसा करना उन व्यक्तियों का महत्व कम नहीं करता। ऐसे लोग समाज में निंदनीय होते हैं और उनसे दूरी बनाए रखना ही जरूरी है।