Chhatrapati Shivaji Maharaj : छत्रपति शिवाजी महाराज, जो मराठा साम्राज्य के संस्थापक और भारत के महानतम राजाओं में से एक थे, उनकी पुण्यतिथि हर साल 3 अप्रैल को मनाई जाती है। 3 अप्रैल 1680 को गंभीर बीमारी के कारण रायगढ़ किले में उनका निधन हुआ था। वे न केवल एक वीर योद्धा थे, बल्कि कुशल प्रशासक और रणनीतिकार भी थे। उनकी नीतियां और विचार आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
मराठा साम्राज्य के संस्थापक
छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1674 में मराठा साम्राज्य की स्थापना की और रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। उन्होंने हिंदवी स्वराज्य की कल्पना को साकार किया और मुगलों, निजामशाही तथा आदिलशाही जैसे शक्तिशाली शासकों से संघर्ष कर स्वतंत्र राज्य की नींव रखी। उनका उद्देश्य एक स्वशासित हिंदवी राज्य स्थापित करना था, जो अन्याय और दमन से मुक्त हो।
शिवाजी महाराज ने समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक सशक्त नौसेना का गठन किया। उन्होंने तटीय इलाकों में कई महत्वपूर्ण किलों का निर्माण करवाया और विदेशी आक्रमणों से रक्षा की। इसी कारण उन्हें भारतीय नौसेना का जनक भी कहा जाता है।
सभी धर्मों के प्रति सम्मान
शिवाजी महाराज धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर थे। उन्होंने कभी भी किसी पर जबरन धर्म परिवर्तन नहीं थोपने दिया। उनके शासन में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग उच्च प्रशासनिक पदों पर नियुक्त किए गए थे। वे एक न्यायप्रिय और धर्मनिरपेक्ष शासक थे, जो सभी धर्मों के प्रति सम्मान की भावना रखते थे।
शिवाजी महाराज ने युद्ध की पारंपरिक रणनीतियों से हटकर छापामार युद्ध (गुरिल्ला वॉरफेयर) की तकनीक अपनाई। उन्होंने दुर्गों का कुशलता से उपयोग किया और तेज़ी से हमले कर शत्रुओं को चौंका दिया। इस युद्ध शैली के कारण उन्होंने कई बार शक्तिशाली मुगलों और अन्य शत्रुओं को पराजित किया।
संगठित प्रशासन और कर व्यवस्था
शिवाजी महाराज ने एक सुव्यवस्थित प्रशासन प्रणाली स्थापित की, जिसमें अष्टप्रधान मंडल का विशेष योगदान था। उन्होंने कर व्यवस्था को जनता के हित में पुनर्गठित किया और पारदर्शी शासन लागू किया। उनके सुधारों के कारण मराठा साम्राज्य एक संगठित और शक्तिशाली राज्य बना। छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल एक साहसी योद्धा थे, बल्कि एक दूरदर्शी प्रशासक और कुशल रणनीतिकार भी थे।
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उनकी वीरता, प्रशासनिक नीतियां और नेतृत्व शैली आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। उनकी नीतियों के कारण मराठा साम्राज्य ने शक्तिशाली मुगलों और अन्य शत्रुओं के सामने मजबूती से टिके रहने में सफलता पाई। शिवाजी महाराज का जीवन साहस, नीतियों और आदर्शों का प्रतीक है। उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके योगदान को नमन करते हैं और उनके आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा लेते हैं।