Deepotsav 2024: कार्तिक माह की अमावस्या पर मनाया जाने वाला दीपोत्सव या दीपावली का पर्व, भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में रोशनी का उत्सव है। रावण पर विजय प्राप्त कर श्रीराम ने जब वनवास के 14 साल पूरे किए, तो अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। यह परंपरा आज भी लोगों के मन में बसी हुई है। दीपों का यह पर्व, जो इस वर्ष 1 नवंबर को है, घरों और दिलों को रौशन करने का समय है। इस बार दीवाली का उत्सव दुर्लभ शिव-वास और प्रीति योग के बीच मनाया जाएगा, जो मां लक्ष्मी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस लेख में हम जानेंगे दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस पर्व का महत्व।
दुर्लभ योग और शुभ मुहूर्त
Deepotsav 2024 में दुर्लभ शिव-वास योग और प्रीति योग का संयोग बन रहा है, जो धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन योगों में मां लक्ष्मी का पूजन करने से विशेष लाभ और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि इन योगों में की गई पूजा से मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को धन-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को शाम 5:36 बजे से 6:16 बजे तक रहेगा, जिसमें मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, शाम 5:36 बजे से 6:54 बजे तक का समय भी पूजा के लिए शुभ माना गया है। यदि किसी कारणवश इस समय पूजा न हो सके, तो निशिथ काल में यानी रात 11:39 बजे से 12:31 बजे तक भी पूजन किया जा सकता है। वहीं, 31 अक्टूबर को भी लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त सुबह 6:45 बजे से 8:30 बजे तक रहेगा।
लक्ष्मी पूजन की विधि
लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे पहले घर के उत्तर-पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी स्थापित करें। इस पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाकर गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियां रखें और उनके पास जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। इसके बाद पूजा की विधि इस प्रकार करें:
- गणेश पूजन: पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की आराधना से करें। उन्हें सिंदूर, अक्षत, फल और मिठाई चढ़ाएं। गणेश जी की पूजा से सभी बाधाएं दूर होती हैं, जिससे लक्ष्मी पूजन में कोई विघ्न न आए।
- लक्ष्मी पूजन: मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने जल, सिंदूर, अक्षत, पुष्प और गंध अर्पित करें। उनके चरणों में दीपक जलाकर आरती करें। माना जाता है कि लक्ष्मी जी की पूजा के दौरान महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
- कुबेर और सरस्वती पूजन: लक्ष्मी पूजन के बाद कुबेर देव और मां सरस्वती की भी पूजा की जा सकती है। कुबेर को धन के देवता माना जाता है, और उनकी पूजा से घर में धन-धान्य का वास होता है। सरस्वती की पूजा से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- दीप जलाना: पूजा के बाद घर के प्रत्येक कोने में दीप जलाएं। यह कार्य परिवार के सभी सदस्य मिलकर करें ताकि पूरे घर में रौशनी फैले और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाए।
पूजन समाप्त होने के बाद तिजोरी और बहीखातों की पूजा भी करें। माना जाता है कि तिजोरी और बहीखाते का पूजन करने से व्यापार में उन्नति होती है और घर में लक्ष्मी का स्थाई वास रहता है।
दुर्लभ शिव-वास, प्रीति योग और चित्रा नक्षत्र
दीपावली 2024 के अवसर पर दुर्लभ शिव-वास और प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इन योगों में मां लक्ष्मी की पूजा करना विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि इस योग में की गई पूजा से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष चित्रा नक्षत्र का संयोग भी दीपावली के पर्व को और भी शुभ बना रहा है। यह नक्षत्र उस समय बनता है, जब भगवान शिव कैलाश पर्वत पर मां गौरी के साथ विराजमान होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करने से विशेष फल मिलता है। इसके अतिरिक्त, प्रीति योग में लक्ष्मी पूजन करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है, जिससे परिवार में खुशहाली और समृद्धि का संचार होता है।
दीपावली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
दीपावली का पर्व मुख्यतः भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने और रावण पर विजय की खुशी में मनाया जाता है। जब श्रीराम ने 14 वर्ष का वनवास समाप्त किया था, तो अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है।
दीपावली को मां लक्ष्मी के स्वागत का पर्व भी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घरों में प्रवेश करती हैं और उन्हें धन-संपदा का वरदान देती हैं। इसलिए लोग घर की सफाई करते हैं, इसे सजाते हैं और मां लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए विधिवत पूजा करते हैं।
यह पर्व केवल हिंदू धर्म में ही नहीं, बल्कि जैन धर्म और सिख धर्म में भी महत्व रखता है। जैन धर्म में इसे भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। वहीं सिख धर्म में इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं, जब गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने ग्वालियर के किले से 52 राजाओं को मुक्त कराया था।
Deepotsav 2024 का उल्लास और संदेश
Deepotsav 2024 के दिन घरों को दीयों, रंगोली और सजावटी लाइट्स से सजाया जाता है। लोग नए वस्त्र धारण करते हैं, मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और एक-दूसरे के घर जाकर बधाई देते हैं। सड़कों पर मेले, मिठाइयों और पटाखों की आवाज गूंजती है, जिससे चारों ओर रौनक और उत्साह का माहौल बनता है।
दीपावली का त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इस पर्व का संदेश है कि जीवन में कितने ही अंधकार हों, हमें विश्वास और परिश्रम से उसे दूर करना चाहिए। यह पर्व सभी के जीवन में खुशियों का दीप जलाकर बुराई से अच्छाई की ओर बढ़ने का प्रेरणास्रोत है।