IIT engineer Abhay Singh’s spiritual journey : अभय सिंह की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने अपने जीवन के रास्ते को बदलकर एक अनोखी यात्रा शुरू की। आज वे महाकुंभ में साधु के रूप में नजर आते हैं, लेकिन उनका जीवन एक समय में पूरी तरह से अलग था। अभय सिंह, जो पहले आईआईटी के एक होशियार छात्र थे, अब आध्यात्मिक मार्ग पर चल रहे हैं।
साधु बनने का रास्ता
अभय सिंह की जीवन यात्रा बहुत ही प्रेरणादायक है। उन्होंने आईआईटी मुंबई में दाखिला लिया था, लेकिन वहां भी उन्हें वह शांति और संतुष्टि नहीं मिली, जिसकी उन्हें तलाश थी। वे कहते हैं, मैंने सोचा, क्या करूं कंपनियों में जॉइन करू या नए नए प्लेन बनाऊं क्या यही है जिंदगी का मकसद इस सवाल ने उन्हें मानसिक उथल पुथल में डाल दिया और डिप्रेशन का सामना करना पड़ा।
इस दौरान अभय ने महसूस किया कि जीवन में कुछ खो गया है और उन्हें कुछ अलग करना चाहिए। उन्हें आत्मिक शांति की तलाश थी, जो उन्हें अपनी शिक्षा और करियर से नहीं मिल रही थी। उन्होंने साइकोलॉजी पढ़ी और इस्कॉन के बारे में भी सोचा, जिससे उन्हें कृष्ण भक्ति की राह पर चलने का विचार आया।
परिवार और समाज से अलग रास्ता
अभय ने बताया कि बचपन में उन्हें अपने परिवार से अलग सोच और दिशा का अहसास हुआ था। वह कहते हैं, मैंने कई बार सोचा कि घर से भाग जाऊं, क्योंकि मेरा परिवार और सोच बिल्कुल अलग थी। परिवार की पारंपरिक सोच से असहमत होते हुए, उन्होंने आईआईटी मुंबई को चुना, ताकि उन्हें अपने जीवन की दिशा मिल सके। लेकिन वहां भी उन्हें आत्मिक संतोष नहीं मिला।
कुंभ में साधु बनने की यात्रा
अभय की यात्रा को एक नया मोड़ तब मिला, जब वह काशी में एक साधु से मिले। यह साधु उन्हें जूना अखाड़े के महात्माओं से मिला और उन्होंने अभय को आध्यात्मिक रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। अब अभय साधु वेश में महाकुंभ में हैं, जहां वे अपनी आत्मिक यात्रा की सीख ले रहे हैं। वे कहते हैं, मैं किसी एक मत से जुड़ने के बजाय, सिर्फ सीखने आया हूं। यह यात्रा ऊपर की ओर जाती है, नीचे नहीं।
मोक्ष की प्राप्ति की ओर
अभय का कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति है। उन्होंने ग्लैमरस दुनिया को छोड़कर यह समझा कि उनका असली रास्ता यही है। उन्हें अपने गुरु बाबा सोमेश्वर पुरी से बहुत कुछ सीखने को मिला, जो खुद इंडियन एयर फोर्स में एरियल फोटोग्राफी करते थे और अब आध्यात्मिक मार्ग पर चल रहे हैं।