Jitiya Vrat आज, शुभ मुहूर्त से लेकर पारण के समय तक, जानें पूजा और व्रत के सभी नियम

Jitiya Vrat महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए रखती हैं। व्रत की शुरुआत........

Jitiya Puja : धार्मिक दृष्टिकोण से जितिया व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए रखती हैं। व्रत की शुरुआत आश्विन कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर नहाय-खाय से होती है, और इसका समापन नवमी तिथि पर होता है। मुख्य व्रत अष्टमी तिथि को रखा जाता है, जहां महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और शुभ मुहूर्त में जितिया व्रत की विधि-विधान से पूजा करती हैं।

जितिया पूजा सामग्री (Jitiya Puja Samagri List)

जितिया पूजा की सामग्री इस प्रकार है:

– कुश जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाने के लिए
– गाय का गोबर चील और सियारिन की आकृति बनाने के लिए
– अक्षत चावल
– पेड़ा
– दूर्वा की माला
– श्रृंगार का सामान
– सिंदूर और पुष्प
– पान और सुपारी
– लौंग और इलायची
– मिठाई
– फल और फूल
– गांठ का धागा
– धूप-दीप
– बांस के पत्ते
– सरसों का तेल

Jitiya पूजा विधि 

व्रत के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करके विधि-विधान से पूजा करती हैं। इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शुभ मुहूर्त में जितिया व्रत की पूजा की जाती है और जितिया की कथा सुनी जाती है। अगले दिन, सूर्योदय से पहले स्नान करके उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर विधि-विधान से पूजा करके व्रत खोला जाता है।

Jitiya व्रत का महत्व 

जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत विशेष रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं। यह माना जाता है कि जो भी महिला इस दिन सच्चे मन से व्रत रखकर कथा सुनती है, उसे कभी भी अपनी संतान से वियोग नहीं सहना पड़ता। यह व्रत संतान के जीवन को खुशियों से भर देता है।

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