Kalawa duration and rules : Rules, Duration & Effects हिंदू धर्म में हाथ में बांधा जाने वाला कलावा या रक्षा सूत्र एक पवित्र धागा माना जाता है। इसे पूजा-पाठ, यज्ञ या हवन के बाद पंडित द्वारा हाथ में बांधा जाता है। कलावा बांधने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और मन में आत्मविश्वास बढ़ता है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि इसे कितने समय तक पहनना चाहिए? लंबे समय तक कलावा बांधने से क्या असर होता है? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्यों खास होता है कलावा?
कलावा सिर्फ एक रंगीन धागा नहीं है, बल्कि इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद शक्तिशाली माना गया है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, जब पंडित मंत्रों के साथ कलावा बांधते हैं, तो उसमें त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महादेव की शक्तियां समाहित हो जाती हैं। इसके कारण यह धागा नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और बीमारी से व्यक्ति की रक्षा करता है।
कितने दिन तक पहनना चाहिए कलावा?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कलावा अधिकतम 21 दिनों तक ही पहनना चाहिए। इसके बाद इसका रंग हल्का पड़ने लगता है, धागे टूटने लगते हैं और यह गंदा भी हो सकता है। जब कलावा कमजोर या मैला हो जाए तो यह शुभ के बजाय अशुभ असर देने लगता है। इसलिए समय पर इसे बदल देना चाहिए।
अगर आप कलावा उतार रहे हैं, तो उसे कहीं भी फेंकना नहीं चाहिए। धार्मिक दृष्टि से ऐसा करना उचित नहीं माना जाता। इसे मंदिर में या पेड़ पर भी नहीं लटकाना चाहिए। सबसे अच्छा तरीका यह है कि उसे साफ मिट्टी में दबा दें। ऐसा करने से उसमें जमा हुई नकारात्मक ऊर्जा धरती में समा जाती है और किसी प्रकार का दोष नहीं लगता।
क्यों जरूरी है नियमों का पालन?
धार्मिक नियमों के पीछे विज्ञान और ऊर्जा का सिद्धांत छिपा होता है। कलावा पहनना एक धार्मिक प्रक्रिया है, लेकिन अगर इसे सही तरीके से नहीं निभाया जाए, तो इसके फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। समय पर इसे उतारना और सही जगह विसर्जित करना जरूरी है।
अस्वीकरण:यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं, शास्त्रीय संदर्भों और सामान्य परंपराओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है। कृपया किसी भी धार्मिक कार्य को करने से पहले विशेषज्ञ या आचार्य से सलाह अवश्य लें।