Lord Jagannath’s Idol Looks Different:पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर की अधूरी मूर्ति के पीछे छिपा है एक गहरा धार्मिक रहस्य, जो आज भी लोगों को हैरान करता है।भगवान जगन्नाथ की मूर्ति पहली नजर में ही अलग नजर आती है। बड़ी गोल आंखें, नाक में नथ और बिना हाथ-पैर का शरीर। यह रूप जितना अनोखा है, उतना ही गहरा है इसके पीछे छिपा रहस्य। पुरी का जगन्नाथ मंदिर न केवल भारत के चार धामों में से एक है, बल्कि कई ऐसे रहस्यों का घर भी है जिनका जवाब आज तक विज्ञान और तर्क नहीं ढूंढ पाए हैं।
क्यों अधूरी है भगवान जगन्नाथ की मूर्ति?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब राजा इंद्रद्युम्न भगवान जगन्नाथ का मंदिर बनवा रहे थे, तब उन्होंने मूर्ति निर्माण का कार्य देव शिल्पकार विश्वकर्मा जी को सौंपा। विश्वकर्मा जी ने शर्त रखी कि जब तक वे मूर्तियाँ बनाएँगे, तब तक कोई भी कमरे में नहीं झाँकेगा।
राजा ने बात मान ली, लेकिन कई दिन बाद जब कमरे से कोई आवाज नहीं आई, तो वे चिंतित हो उठे और दरवाजा खोल बैठे। तभी विश्वकर्मा जी क्रोधित होकर वहाँ से चले गए और मूर्तियाँ अधूरी रह गईं। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा की। हालाँकि हिन्दू धर्म में अधूरी मूर्ति की पूजा वर्जित मानी जाती है, फिर भी पुरी धाम में करोड़ों श्रद्धालु इन मूर्तियों की पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं।
भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का खास स्वरूप क्यों?
बड़ी गोल आंखें,जगन्नाथ जी की आंखें सब कुछ देखने की क्षमता का प्रतीक मानी जाती हैं। ये दर्शाती हैं कि भगवान हर समय हर जगह मौजूद हैं।
हाथ-पैर न होना,इसका अर्थ है कि भगवान निराकार हैं और वह किसी भी रूप में सीमित नहीं हैं। यह ब्रह्म के निराकार स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है।
लकड़ी की मूर्तियाँ,भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की मूर्तियाँ नीम की लकड़ी (दारु ब्रह्म) से बनाई जाती हैं, जो स्वयं में एक पवित्र तत्व मानी जाती है।
हर 12 साल में बदलाव,इन मूर्तियों को हर 12 साल में एक विशेष अनुष्ठान ‘नवकलेवर’ के तहत बदला जाता है। यह प्रक्रिया बेहद रहस्यमयी और धार्मिक रूप से शक्तिशाली मानी जाती है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। news1india इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है।