Mithun Sankranti 2025 : मिथुन संक्रांति कब है,निसंतान आज कौन सा करें उपाय जिससे औलाद का सुख पाएं

मिथुन संक्रांति एक पवित्र पर्व है जो सूर्य के गोचर और धरती की उर्वरता से जुड़ा है। यह दिन महिलाओं, किसानों और नई फसल के लिए विशेष माना जाता है।

Mithun Sankranti 2025 fertility festival and Silbatta worship

Mithun Sankranti 2025:इस साल मिथुन संक्रांति 15 जून 2025, आज रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव अपनी खुद की राशि मिथुन में प्रवेश करते हैं। साल में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं और आषाढ़ महीने की संक्रांति को मिथुन संक्रांति कहा जाता है। इसे “छह मुख वाली संक्रांति” भी कहते हैं। यह दिन सूर्य देव और धरती माता की पूजा के लिए खास माना जाता है।

क्या है इस दिन का महत्व?

यह दिन खासतौर पर उर्वरकता और नई फसल की शुरुआत से जुड़ा होता है। माना जाता है कि देवी पृथ्वी इन तीन दिनों तक मासिक धर्म में होती हैं, और वर्षा ऋतु की शुरुआत के साथ वो एक नई फसल की तैयारी करती हैं। इस पर्व को अलग-अलग जगहों पर अलग नामों से जाना जाता है।

ओडिशा में इसे ‘राज पर्व’ कहते हैं

पूर्वी भारत में ‘मिथुन संक्रांति’ के रूप में मनाया जाता है

इसे ‘रज संक्रांति’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह महिला उर्वरकता और धरती की रचना शक्ति का प्रतीक है।

कैसे होती है पूजा?

इस दिन सिलबट्टे की पूजा की जाती है, जिसे धरती मां का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में हर चीज को देवी-देवताओं से जोड़ा गया है।
पूजा में चढ़ाए जाते हैं।

फल

फूल

चंदन

धूप

अक्षत (चावल)

सिंदूर

इस पूजा को वसुमति गढ़वा भी कहा जाता है। यह दिन धरती की पवित्रता और उत्पादकता को सम्मान देने का एक तरीका है।

सूनी गोद भरने की मान्यता

धार्मिक मान्यता है कि जो महिलाएं संतान प्राप्ति की इच्छा रखती हैं, वे अगर इस दिन सिलबट्टे की श्रद्धा से पूजा करें, तो उन्हें शीघ्र ही संतान सुख मिलता है। इस दिन पवित्र मन से सुबह स्नान कर पूजा करना शुभ माना जाता है।

इस दिन क्यों खास है पूजा?

यह पर्व न सिर्फ धार्मिक है, बल्कि कृषि संस्कृति और महिलाओं की शक्ति से भी जुड़ा है। वर्षा ऋतु की शुरुआत, धरती की उर्वरता और नए जीवन की आशा इस दिन को खास बनाते हैं।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। News1India इसकी पुष्टि नहीं करता।

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