नवरात्रि का 8वां दिन मां दुर्गा के 8वें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित होता है। मां महागौरी देवी पार्वती का ही एक रूप हैं। मान्यता के अनुसार देवी पार्वती ने कठोर तपस्या करने के बाद भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाया था। नवरात्र के 8वें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां गौरी पवित्रता और शांति की प्रतीक हैं। इसलिए उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाता है।
मां गौरी का स्वरूप
महागौरी की चार भुजाएं हैं। उसका दाहिना हाथ भय को दूर करता है और दूसरे दाहिने हाथ में त्रिशूल है। माता बाएं ऊपरी बांह में एक डमरू रखती है और निचला एक आशीर्वाद की मुद्रा में है। माता सफेद बैल की सवारी करती है। देवी सफेद कपड़े धारण करती है।
महागौरी स्नेहमयी, करुणामयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव की हैं। महागौरी नाम का अर्थ स्वच्छ रंग, अत्यंत उज्ज्वल और चंद्रमा की तरह चमक के साथ होता है। वहीं महागौरी के तेज से सम्पूर्ण विश्व प्रकाशमान होता है।
मां गौरी का पूजन फलदायक
मान्यता है कि अगर जन्म कुंडली में विवाह से संबंधित कोई परेशानी है तो मां महागौरी की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होता है। महागौरी की उपासना से मनपसंद जीवनसाथी मिलता है और जल्द विवाह होता है। माता कुंवारी युवतियों से प्रसन्न होकर मनचाहा पति पाने का वरदान देती हैं। मां महागौरी के पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां समस्त पापों का नाश करती है। मां का पूजन अष्टमी को करने से कष्ट सभी दुःख मिट जाते हैंष। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती।
नवरात्र का आठवां दिन बेहद खास माना जाता है। इस दिन महागौरी की पूजा करना और कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है। दुर्गाष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है। इस पूजन में नौ कन्याओं की पूजा की जाती है।
माता महागौरी की पूजा में पीले या सफेद वस्त्र धारण करें। महागौरी को पीले फूल अर्पित करें और हलवा और काले चने का भोग लगाना चाहिए।
मंत्र
मां गौरी की आराधना सर्व मंगल मंग्लये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते..।