Navratri 2024 : नवरात्रि के नौ दिनों में तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माँ चंद्रघंटा को शक्ति और साहस की देवी माना जाता है। उनके माथे पर अर्धचंद्र का घंटा होता है, जो उनके नाम का कारण है। यह स्वरूप उनके भक्तों को भय से मुक्ति दिलाने वाला और साहस प्रदान करने वाला होता है। उनके इस रूप की पूजा करने से जीवन में शांति और धैर्य आता है।
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप शांति और वीरता का प्रतीक है। उनके भक्तों का विश्वास है कि उनकी आराधना करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि के तीसरे दिन उनका विशेष ध्यान किया जाता है, क्योंकि इस दिन उनकी कृपा से साधक के जीवन में शक्ति और समृद्धि का संचार होता है।
विशेष भोग और प्रसाद
माँ चंद्रघंटा की पूजा में उन्हें खास भोग अर्पित किया जाता है। उनके प्रिय भोग में मुख्य रूप से दूध या दूध से बने पदार्थ जैसे खीर या मिष्ठान्न अर्पित किए जाते हैं। माना जाता है कि दूध से बने भोग से माता प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करती हैं। इसके साथ ही कुछ स्थानों पर शहद का भोग भी लगाया जाता है, जिसे शुद्धता और सौम्यता का प्रतीक माना गया है।
भक्तगण अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार भी भोग तैयार कर सकते हैं। प्रसाद को पूरे परिवार के साथ साझा करना, माता का आशीर्वाद पाने का विशेष तरीका माना गया है।
मंत्र और आरती
माँ चंद्रघंटा की आराधना करते समय विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए। मुख्य मंत्र इस प्रकार है: “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” इस मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही माँ की आरती भी करें, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो। आरती में “जय माँ चंद्रघंटा” का गायन भक्तों को आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्त्व
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक को अद्भुत ऊर्जा और शक्ति मिलती है। वे अपने भक्तों के सभी भय को दूर कर साहस और आत्मविश्वास से भर देती हैं। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयाँ समाप्त हो जाती हैं और उसे सुख-शांति का अनुभव होता है। नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा करना समर्पण, साहस और शांति प्राप्त करने का प्रतीक है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. news1india.in इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है. यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें.
ये भी पढ़ें : Navratri के दौरान भूल-कर भी ना करें ये काम, वरना नहीं मिलेगा पूजा का लाभ