Navratri 2025 : उत्तराखंड में कई धार्मिक स्थल हैं, लेकिन धारी देवी मंदिर का स्थान विशिष्ट है। इसे उत्तराखंड की रक्षक देवी का मंदिर माना जाता है। यहां प्रतिदिन श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन नवरात्रि के समय भक्तों की संख्या में विशेष वृद्धि होती है। इस मंदिर में देवी माता के सिर की पूजा की जाती है। यह मंदिर पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। इस प्रसिद्ध शक्ति पीठ से जुड़ी मान्यताओं और इसके महत्व के बारे में आज हम विस्तार से जानकारी देंगे।
धारी देवी मंदिर का इतिहास और मान्यता
धारी देवी मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है और यह चारधाम यात्रा मार्ग के बीच में पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर द्वापर युग से धारो गांव के पास स्थित था। इसे चारधामों का रक्षक भी माना जाता है। यहां देवी माता के धड़ की पूजा होती है। एक मान्यता के अनुसार, एक समय जब भयंकर बाढ़ आई, तो देवी की मूर्ति बाढ़ में बहकर धारो गांव के पास एक चट्टान पर रुक गई। इसके बाद एक ईश्वरीय वाणी ने देवी की मूर्ति को वहां स्थापित करने का आदेश दिया। धारो गांव के लोगों ने मूर्ति को स्थापित किया, और तब से इस स्थान पर देवी की पूजा शुरू हो गई।
धारी देवी मंदिर में चमत्कार
धारी देवी मंदिर में देवी की मूर्ति दिन में तीन बार रूप बदलती है। सुबह में देवी कन्या के रूप में, दोपहर में युवती के रूप में और शाम के समय वृद्ध महिला के रूप में दिखाई देती हैं। यह चमत्कार प्रतिदिन होता है और इसे देखने के लिए भक्त मंदिर में सुबह से शाम तक रुके रहते हैं।
मूर्ति विस्थापन
उत्तराखंड में 2013 में आई भीषण बाढ़ के पीछे धारी देवी की मूर्ति को उसके स्थान से हटाने को कारण माना जाता है। 16 जून 2013 को मूर्ति को स्थानांतरित किया गया और उसी दिन शाम को उत्तराखंड में भयंकर बाढ़ आई, जिसमें हजारों लोग मारे गए। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह बाढ़ माता के क्रोध के कारण आई थी।
धारी देवी और कालीमठ का संबंध
धारी देवी मंदिर में देवी काली के सिर की पूजा होती है, जबकि कालीमठ मंदिर में माता के धड़ की पूजा की जाती है। ये दोनों ही मंदिर देवी काली को समर्पित हैं, लेकिन कालीमठ तंत्र विद्या का प्रमुख केंद्र है, जबकि धारी देवी को चारधामों की संरक्षक देवी माना जाता है।
धारी देवी मंदिर दर्शन समय
धारी देवी मंदिर सुबह 6 बजे खुलता है और शाम 7 बजे तक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहता है।
कैसे पहुंचें?
धारी देवी मंदिर का स्थित हवाई अड्डा देहरादून से लगभग 145 किलोमीटर और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से करीब 115 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध रहती है। आप देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, पौड़ी, कोटद्वार से आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं।