Religious news: कोई भी शुभ काम हो जैसे शादी, मुंडन या किसी खास मौके पर शगुन के लिफाफे में एक रुपये का सिक्का रखना एक पुरानी परंपरा है।ये सिर्फ सामाजिक रस्म नहीं हैं, बल्कि इसके धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं। चलिए, आपको बताते हैं ।
शुभ मौकों पर विषम संख्याओं का महत्व
शुभ अवसरों पर 101, 1001 या 11 रुपये देने की परंपरा काफी समय से प्रचलन में है। ऐसा माना जाता है कि यह विषम संख्याएं स्थिरता से आगे बढ़ने और जीवन में प्रगति का प्रतीक हैं।101 रुपये देने का मतलब है कि व्यक्ति हमेशा जीवन में नई शुरुआत करता रहे और संतोष पर न रुककर खुद को और बेहतर बनाने की कोशिश करता रहे। यह जीवन में निरंतर विकास और पॉजिविटी की ओर इशारा करता है।
हिंदू परंपराओं में विषम और सम संख्याएं
हिंदू धर्म में विषम संख्याओं को शुभ और गतिशील माना गया है। ये ऊर्जा और नई संभावनाओं को बढ़ावा देती हैं। वहीं, सम संख्याएं स्थिरता और शांति का प्रतीक होती हैं।वहीं अशुभ अवसरों, जैसे श्राद्ध या मृत्यु के समय, 10 या 100 रुपये जैसे सम अंक दिए जाते हैं। इसका कारण यह है कि इस समय जीवन का एक चैप्टर खत्म हो चुका होता है, और अब संतुलन और स्थिरता की आवश्यकता होती है।
संख्याओं का मानसिक प्रभाव
संख्याओं का हमारी मानसिकता पर भी असर पड़ता है। विषम संख्या नई ऊर्जा और आशा का अनुभव कराती हैं, जबकि सम संख्या से स्थिरता और शांति का भाव आता है।
वैदिक परंपराओं का संदेश
हिंदू धर्म की परंपराएं सिर्फ स्पिरिचुअल ही नहीं होती है बल्कि जीवन को संतुलित रखने की हमें सीख भी देती हैं। शगुन में एक रुपये का सिक्का या 101 रुपये जोड़ने का उद्देश्य हर मौके को सम्मान देना और जीवन में नई शुरुआत का संदेश देना है।