Pitru Dosh 2025:क्या पितृ दोष आपकी किस्मत की सुनहरी डोर को काट रहा है? जानिए निवारण ज्योतिष शास्त्र के अनुसार

पितृपक्ष में पूर्वजों की पूजा से आशीर्वाद मिलता है, लेकिन असंतोष होने पर पितृ दोष बनता है। यह दोष आर्थिक संकट, बीमारियों और कलह लाता है। उपायों में श्राद्ध, तर्पण, पूजा और दान सबसे प्रभावी माने गए हैं।

Pitru Dosh 2025 causes and remedies

Pitru Dosh 2025: Causes and Remedies: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व माना जाता है। यह समय हर साल 15 दिनों का होता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों को तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करके संतुष्ट करते हैं। माना जाता है कि पूर्वजों का आशीर्वाद मिलने से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति आती है। लेकिन अगर पितर नाराज हो जाएं, तो परिवार को पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है। ज्योतिष के अनुसार, यह दोष जीवन में आर्थिक संकट, बीमारियों और रिश्तों में तनाव का कारण बनता है।

पितृ दोष क्या है?

पितृ दोष तब बनता है जब पूर्वजों की आत्माएं असंतुष्ट रहती हैं। यह स्थिति तब पैदा होती है जब पूर्वजों का सही तरीके से श्राद्ध, तर्पण या अंतिम संस्कार नहीं किया गया हो या उनका अपमान किया गया हो। इसके अलावा, जन्मकुंडली में राहु, केतु, शनि और सूर्य जैसे ग्रहों की खराब स्थिति भी पितृ दोष का कारण मानी जाती है। इसका असर कई पीढ़ियों तक दिखाई दे सकता है।

पितृ दोष के प्रकार (ज्योतिष शास्त्र के अनुसार)

सूर्यकृत पितृ दोष – परिवार के बड़े-बुजुर्गों के बीच झगड़े और क्लेश से यह दोष बनता है।

मंगलकृत पितृ दोष – छोटे सदस्यों के बीच मतभेद और घर में अशांति लाता है।

कुंडली पितृ दोष – जन्मकुंडली में ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति से उत्पन्न होता है।

स्त्री पितृ दोष – महिलाओं से जुड़ा दोष, जो संतान प्राप्ति में अड़चन पैदा कर सकता है।

शापित पितृ दोष – पूर्वजों के गलत कर्मों के कारण यह दोष बनता है और पूरे वंश को प्रभावित करता है।

लाल किताब के अनुसार पितृ दोष

लाल किताब में पितृ दोष को 10 प्रकार के ऋणों के रूप में बताया गया है, जैसे

पुत्री ऋण – कन्या को कष्ट देने से।

जालिमाना ऋण – किसी का हक छीनने से।

राहु का ऋण (अजन्मा ऋण) – निर्दोष को फंसाने या धोखा देने से।

केतु का ऋण – कुत्ते को मारने या संतान में बाधा डालने से।

पूर्वजों का ऋण – उनके अच्छे-बुरे कर्मों का असर।

स्वयं का ऋण – अपने कर्मों से बना दोष।

पितृ ऋण – पूर्वजों की जिम्मेदारियां पूरी न करने से।

मातृ ऋण – मां के साथ गलत व्यवहार से।

पत्नी ऋण – पत्नी को कष्ट देने से।

संबंधी ऋण – रिश्तेदारों के साथ बुरा व्यवहार करने से।

पितृ दोष निवारण के उपाय

हर अमावस्या और पितृपक्ष में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करें।

पीपल के पेड़ में काले तिल और गंगाजल मिलाकर जल अर्पित करें।

रोज़ गीता का पाठ करें और गंभीर स्थिति में श्रीमद्भागवत के गजेंद्र मोक्ष अध्याय का पाठ करें।

शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करके भगवान शिव की पूजा करें।

कौए, गाय, चिड़िया और कुत्ते को रोटी खिलाएं।

घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं और पितरों की तस्वीर पर पुष्प चढ़ाएं।

डिस्क्लेमर: यह सामग्री केवल धार्मिक मान्यताओं और जनश्रुतियों पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। न्यूज1 इंडिया इस जानकारी की सत्यता का दावा नहीं करता

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