Premanand Ji Maharaj : वृंदावन से ये चीजें लाना पड़ सकता है भारी, प्रेमानंद जी महाराज ने दी सीधी चेतावनी

Premanand Ji महाराज के अनुसार, वृंदावन से तुलसी, घास, पेड़-पौधे, मिट्टी या गिरीराज जी को घर ले जाना एक गंभीर गलती मानी जाती है। उनका कहना है कि ये सभी वस्तुएं

Premanand Ji Maharaj :  बृज की पवित्र भूमि में भगवान श्रीकृष्ण की महिमा कण-कण में है, लेकिन वृंदावन वह स्थान है जहां कान्हा जी साक्षात विराजते हैं। बांके बिहारी मंदिर इस पवित्र नगरी का ऐसा स्थान है, जहां भक्तों को भगवान कृष्ण की दिव्य उपस्थिति का अनुभव होता है। इस मंदिर में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, और हर भक्त बिहारी जी की एक झलक पाने को आतुर रहता है। माना जाता है कि यहां से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता।

वृंदावन की पावन भूमि पर आने के लिए भी विशेष सौभाग्य की आवश्यकता होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां भगवान कृष्ण की शरण में आने के लिए ऋषि-मुनियों और तपस्वियों ने कठोर तप किया है। यही कारण है कि यहां के पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, घास, और अन्य जीव भी अपनी तपस्या और भक्ति के बल पर यहां बसे हैं।

Premanand Ji ने क्या कहा 

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, वृंदावन से तुलसी, घास, पेड़-पौधे, मिट्टी या गिरीराज जी को घर ले जाना एक गंभीर गलती मानी जाती है। उनका कहना है कि ये सभी वस्तुएं अपने तप और भक्ति के कारण वृंदावन में स्थान पाई हैं, और इन्हें यहां से दूर ले जाना अपराध के समान है।

अगर वृंदावन से कुछ लेकर जाना ही हो, तो प्रेमानंद जी महाराज चंदन, रंग, पंचामृत, और कान्हा जी के वस्त्र ले जाने की अनुमति देते हैं। लेकिन वृक्ष, लता, तुलसी आदि चीजों को ले जाने से बचना चाहिए, क्योंकि ये वस्तुएं बांके बिहारी जी के साथ रहने के लिए सालों की तपस्या और प्रतीक्षा के बाद यहां स्थान पाई हैं। इन्हें वृंदावन से अलग करना उनके प्रति अनुचित और पाप समान माना जाता है।

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