Religious news: कैलाश पर्वत के पास स्थित इस रहस्यमयी झील को क्यों माना जाता है अशुभ और ख़तरनाक

राक्षस ताल एक रहस्यमयी झील है जिसे नकारात्मक ऊर्जा और रावण की तपस्या से जोड़कर देखा जाता है। इसका पानी जहरीला है और इसे धार्मिक रूप से अशुभ माना जाता है।

Rakshas Tal: The Mysterious Lake:हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और इसी कारण यह पर्वत आध्यात्मिक रूप से बेहद पवित्र माना जाता है। केवल हिंदू ही नहीं, बौद्ध, जैन और सिख धर्म के लोग भी कैलाश को एक आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र मानते हैं। कैलाश पर्वत के पास ही दो प्रमुख झीलें हैं।मानसरोवर झील और राक्षस ताल। जहां मानसरोवर को पवित्र और शुभ माना जाता है, वहीं राक्षस ताल को लेकर कई रहस्यमयी और डरावनी मान्यताएं प्रचलित हैं।

क्या है राक्षस ताल?

राक्षस ताल, जिसे कुछ लोग ‘शैतान की झील’ भी कहते हैं, कैलाश पर्वत के पास स्थित है। इसकी आकृति अर्धचंद्र के जैसी है और बौद्ध धर्म में इसे अंधकार का प्रतीक माना जाता है।

हिंदू मान्यता के अनुसार, लंका के राजा रावण ने इस झील में स्नान कर तपस्या की थी। इसी वजह से इसे ‘राक्षस ताल’ कहा जाने लगा। कहा जाता है कि रावण की तपस्या के कारण यह झील राक्षसी शक्तियों से भर गई थी।

डर और नकारात्मकता से जुड़ी मान्यताएं

ऐसा माना जाता है कि इस झील के आसपास नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहता है। जो लोग यहां जाते हैं, उन्हें मानसिक रूप से बेचैनी या डर का अनुभव होता है।

तिब्बती लोग इसे ‘लंगगर चो’ या ‘लहानाग त्सो’ कहते हैं और इसका पानी शापित और जहरीला मानते हैं। तिब्बतियों के अनुसार, यह झील अशुद्ध है और इसके करीब जाना भी अशुभ माना जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और रहस्य

राक्षस ताल का पानी खारा और जहरीला है, जिसमें न तो मछलियाँ पाई जाती हैं और न ही आसपास कोई वनस्पति दिखती है। जबकि कुछ ही दूरी पर स्थित मानसरोवर झील में भरपूर जीवन है।

वैज्ञानिक आज तक यह नहीं समझ पाए हैं कि आखिर राक्षस ताल का पानी इतना विषैला क्यों है। इसी कारण चीन सरकार ने इस झील के चारों ओर सीमा तय कर दी है, ताकि लोग इससे दूरी बनाए रखें।

राक्षस ताल का धार्मिक और पौराणिक जुड़ाव

राक्षस ताल को केवल रावण ही नहीं, बल्कि चंद्रमा और राक्षसी शक्तियों से भी जोड़ा जाता है। धर्मग्रंथों में इसे अशुद्धता, अंधकार और नकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। कुछ तीर्थयात्रियों ने अपने अनुभव में बताया है कि झील के पास जाने पर उन्हें अजीब सी ऊर्जा और भारीपन का अनुभव हुआ। इसीलिए धार्मिक रूप से इस स्थान को शुभ नहीं माना जाता।

डिस्क्लेमर: यहां बताई गई बातें धार्मिक आस्था, जनविश्वासों और विभिन्न स्रोतों से ली गई हैं। न्यूज़1 इंडिया इसकी सटीकता की पुष्टि नहीं करता है। ना ही इसका कोई वैज्ञानिक आधार है। और हम किसी भी प्रकार के अंधविश्वास का समर्थन नहीं करते

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