Religous News:दादी-नानी की बातें हमेशा हमारे लिए कुछ खास संदेश लेकर आती हैं। उनकी सलाहों में गहरी समझ और धार्मिक मान्यताएं छिपी होती हैं। जैसे, शाम को दहलीज पर न बैठने की बात, जो कि घर की सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखने से जुड़ी होती है। यह एक छोटी सी परंतु महत्वपूर्ण सलाह है, जिसे हम माता लक्ष्मी को नाराज़ कर सकते हैं ।
दहलीज़ पर शाम को बैठना क्यों अशुभ
हिंदू धर्म के अनुसार, दहलीज़ घर का मुख्य दरवाजा मां लक्ष्मी के प्रवेश का स्थान होता है। माना जाता है कि सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं। यदि उस समय कोई व्यक्ति दहलीज पर बैठा हो या खड़ा हो, तो यह माना जाता है कि मां लक्ष्मी घर में नहीं आ पातीं और वापस लौट जाती हैं। इस वजह से घर में सुख-समृद्धि का अभाव हो सकता है और माता की कृपा से वंचित रह जाता है।
दादी-नानी का अनुभव
दादी-नानी का जीवन अनुभव हमारे लिए किसी खजाने से कम नहीं होता। उनके पास ना केवल ढेर सारी कहानियाँ और घरेलू नुस्खे होते हैं, बल्कि उनकी दी गई छोटी-छोटी सीखों में भी गहरा अर्थ छिपा होता है। यह सीखें हमारे जीवन में सही दिशा और संतुलन लाती हैं।
दहलीज़ का महत्व
दहलीज़ को घर का एक पवित्र और शुद्ध हिस्सा माना जाता है। यही कारण है कि दादी-नानी न सिर्फ यहां बैठने से मना करती हैं, बल्कि जूते-चप्पल रखने से भी रोकती हैं। उनका कहना है कि ऐसा करने से घर में दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
शाम को क्या करें?
शाम के समय घर के मुख्य दरवाजे पर दीप जलाना शुभ माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है और घर में सकारात्मक वातावरण बना रहता है। कोशिश करें कि इस समय दरवाजा खुला रखें, ताकि मां लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके।