जगन्नाथ मंदिर की रहस्यमयी सीढ़ियों में छुपे हैं कौन से आस्था और आध्यात्म के राज़, जिन्हें हर भक्त को जानना चाहिए

जगन्नाथ मंदिर की 22 सीढ़ियां केवल रास्ता नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा हैं। ये इंसान की बुराइयों, तत्वों और जीवन दर्शन का प्रतीक मानी जाती हैं, जो भक्त को मोक्ष की ओर ले जाती हैं।

The Mysterious Steps of Jagannath Temple:पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर अपने आप में चमत्कारी और रहस्यमयी है। इस मंदिर के मुख्य द्वार पर मौजूद 22 सीढ़ियों को बैसी पहाचा कहा जाता है, जिसका मतलब उड़िया भाषा में “22 सीढ़ियां” होता है। इन सीढ़ियों को लेकर न सिर्फ धार्मिक मान्यताएं हैं, बल्कि इनसे जुड़ी कहानियां, प्रतीक और गूढ़ रहस्य भी हैं।

सीढ़ियों की संख्या को लेकर भ्रम

माना जाता है कि इनकी कुल संख्या 22 है, लेकिन आज अगर आप मंदिर में जाएं तो वहां केवल 18 सीढ़ियां दिखती हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि अनाद बाजार और रसोई की दो-दो सीढ़ियों को मिलाकर ये संख्या 22 बनती है। हर सीढ़ी करीब 6 फीट चौड़ी और 70 फीट लंबी है।

तीसरी सीढ़ी – यम शिला

तीसरी सीढ़ी को यम शिला कहा जाता है। मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश करते समय इस पर पैर रखना शुभ होता है, लेकिन वापसी के वक्त अगर कोई इस पर पैर रख दे, तो उसके सभी पुण्य खत्म हो जाते हैं। एक कथा के अनुसार, जब सब भक्त मंदिर जाकर मोक्ष पाने लगे तो यमलोक सूना हो गया। यमराज ने भगवान जगन्नाथ से शिकायत की। तब भगवान ने कहा कि जो लौटते समय तीसरी सीढ़ी पर पैर रखेगा, उसका पुण्य नष्ट हो जाएगा। तभी से लोग इस सीढ़ी को विशेष मानते हैं।

22 सीढ़ियों का आध्यात्मिक अर्थ

इन सीढ़ियों को सिर्फ चढ़ना ही नहीं, बल्कि अपनी बुराइयों को पीछे छोड़ना भी माना जाता है। मान्यता है कि

ये 22 सीढ़ियां इंसान की 22 बुराइयों का प्रतीक हैं।

कुछ लोग इन्हें 18 पुराणों और 4 वेदों का प्रतीक मानते हैं।

कई लोग इन्हें 14 लोकों और 8 वैकुंठों का प्रतिनिधि भी मानते हैं।

जैन धर्म के अनुसार, ये 22 सीढ़ियां उनके 22 तीर्थंकरों की प्रतीक हैं।

हर सीढ़ी हमारे जीवन के अलग-अलग तत्वों से जुड़ी मानी जाती है।जैसे इंद्रियां, प्राण, स्वाद, गंध, आकाश, अग्नि, ज्ञान और अंत में अहंकार।

क्यों मानी जाती हैं ये सीढ़ियां खास?

इन सीढ़ियों को छूकर मंदिर में प्रवेश करना मोक्ष का मार्ग माना गया है। वास्तु के अनुसार, यह द्वार पूर्व दिशा में स्थित है, जो सबसे शुभ मानी जाती है। पिंडदान भी यहीं करने से पूर्वजों को शांति मिलती है। कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ हर साल रथ यात्रा के समय इन्हीं सीढ़ियों से बाहर निकलते हैं। जब वे निकलते हैं, तो देवी-देवता भी इन्हीं सीढ़ियों पर खड़े होकर उन्हें विदा करते हैं।

आध्यात्मिक अनुभव

जो लोग इन सीढ़ियों पर चढ़ते हैं, उन्हें एक अद्भुत शांति और दिव्यता का अनुभव होता है। यह भावना सिर्फ वही जान सकता है जिसने इन सीढ़ियों को छुआ हो।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, जनश्रुतियों और आध्यात्मिक विश्वासों पर आधारित है। News1 India इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है। पाठक स्वयं विवेक से निर्णय लें।

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