Religious news : शनि देव को क्यों चढ़ाया जाता है सरसों का तेल और काले तिल, जानें कितनी पुरानी है ये परंपरा

शनिदेव को तेल और काले तिल चढ़ाने से जीवन की परेशानियां कम होती हैं। यह परंपरा प्राचीन किस्सों से जुड़ी हुई है। भक्तों की श्रद्धा से शनिदेव प्रसन्न होकर कष्टों का निवारण करते हैं।

significance of Shani Dev rituals

Significance of Shani Dev rituals : शास्त्रों में शनि देव को न्याय का देवता और कर्मों के अनुसार फल देने वाला माना गया है। शनि देव आयु, दुख, रोग, पीड़ा, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, सेवक, और जेल जैसे कई क्षेत्रों के कारक हैं। जीवन में हर व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव झेलना पड़ता है। शनिदेव का दिन शनिवार माना गया है, इसलिए इस दिन सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाने की परंपरा है। पर क्या आप जानते हैं, इसके पीछे की वजह क्या है आइए जानें।

शनिदेव और हनुमान जी का युद्ध

पुराणों में एक कथा है कि शनिदेव को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया था। उस समय हनुमान जी की ताकत की चर्चा हर जगह हो रही थी। शनिदेव ने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा। हनुमान जी उस समय भगवान राम की आराधना कर रहे थे। उन्होंने शनिदेव को बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन शनिदेव फिर भी नहीं माने। फिर दोनों में भयंकर युद्ध हुआ।

हनुमान जी ने शनिदेव को युद्ध में हराया

युद्ध के दौरान हनुमान जी ने शनिदेव की खूब पिटाई की। शनिदेव बुरी तरह घायल हो गए और उन्हें काफी दर्द हुआ। दर्द से राहत पाने के लिए हनुमान जी ने उनके शरीर पर सरसों का तेल लगाया। तेल लगाते ही शनिदेव का दर्द गायब हो गया। तब शनिदेव ने कहा कि जो भी भक्त मुझे तेल चढ़ाएगा, उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। तभी से शनि देव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

हनुमान जी ने कराया शनिदेव को मुक्त

एक अन्य कथा के अनुसार, रावण ने सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था और शनिदेव को भी उल्टा लटकाया हुआ था। जब हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका पहुंचे, तो उन्होंने अशोक वाटिका तहस नहस कर दी। गुस्से में रावण ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगवाई। पूंछ जलते ही लंका में आग लग गई, और सभी ग्रह वहां से भाग गए।

लेकिन शनिदेव उल्टे लटके होने की वजह से भाग नहीं पाए। हनुमान जी ने उन्हें देखा और उनके शरीर पर तेल लगाया, जिससे उनका दर्द गायब हो गया। शनिदेव ने कहा कि जो भी भक्त श्रद्धा से मुझ पर तेल चढ़ाएगा, उसकी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी। साथ ही जो शनिवार को हनुमान जी की पूजा करेगा, उस पर मेरी कुदृष्टि कभी नहीं पड़ेगी।

काले तिल का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, एक बार सूर्य देव ने क्रोध में शनिदेव का घर जला दिया था। बाद में उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और वह शनिदेव से मिलने गए। शनिदेव ने उनका स्वागत काले तिल से किया। इस पर सूर्य देव प्रसन्न हुए। तभी से शनिदेव को काले तिल प्रिय माने गए।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए क्या करें

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को काले तिल, उड़द, सरसों का तेल, और काला कपड़ा चढ़ाएं। शनि देव पर तेल और काले तिल चढ़ाने की परंपरा का संबंध उनके दर्द और शांति से है। श्रद्धा और भक्ति से किए गए इन उपायों से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट दूर करते हैं।

Desclaimer यह लेख धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है। इसमें बताए गए तथ्य और कथाएं हिंदू धर्म की पुरानी मान्यताओं से जुड़ी हैं। कृपया ध्यान दें कि news1india इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है और इसे केवल सांस्कृतिक संदर्भ के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

 

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