विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में G7 विदेश मंत्रियों की बैठक में समुद्री सुरक्षा और समृद्धि के विषय पर चर्चा की। इस महत्वपूर्ण ऑनलाइन सत्र में उन्होंने भारत की “MAHASAGAR” दृष्टिकोण पर जोर दिया, जो हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने, इंडो-पैसिफिक सहयोग को मजबूत करने, और संकट के समय पहले जवाबी भूमिका निभाने पर केंद्रित है। यह पहल भारत के समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने का एक रणनीतिक प्रयास है।
एस जयशंकर ने कहा कि भरोसेमंद और विविध समुद्री लिंक बनाना जरूरी है, और भारत अपने पोतों के ढांचे को उन्नत बनाने तथा मजबूत व्यापार मार्ग विकसित करने का काम कर रहा है। उन्होंने समुद्री और अंडरसी (समुद्र के नीचे) केर संरचनाओं की सुरक्षा के लिए बेहतर समन्वय की आवश्यकता बताई। इसके साथ ही समुद्री खतरों जैसेद कि समुद्री डकैती, तस्करी और गैर-कानूनी, बिना रिपोर्ट वाली एवं अनियमित मछली पकड़ने (IUU फिशिंग) के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्र में संकट के समय पहली प्रतिक्रिया देने वाला देश बनकर उभरा है। इसके तहत मानवतावादी सहायता तथा आपदा राहत (HADR) साझेदारी को बढ़ाने, संयुक्त अभ्यास करने और लॉजिस्टिक्स समझौतों पर काम करने का प्रयास जारी है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि समुद्री व्यापार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, और मजबूत बंदरगाह तथा सुरक्षित जलमार्ग सामूहिक सुरक्षा एजेंडा के केंद्र में हैं।
एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून सम्मेलन (UNCLOS) को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, जो समुद्री कानून के तहत सभी देशों के लिए नियमों की रूपरेखा प्रदान करता है। इस बैठक में एस जयशंकर ने कनाडा, मेक्सिको, फ्रांस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी सहित कई देशों के विदेश मंत्रियों से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय वार्ता के जरिये भारत की कूटनीतिक सक्रियता को बढ़ावा दिया।



