Shardiya Navratri 2025: इस गांव में विराजमान हैं परेतिन माता, यहां भक्त करते हैं डायन की अराधना

शारदीय नवरात्रि में झींका गांव की सरहद में बने परेतिन दाई मंदिर में भक्तों का उमडा जनसैलाब, भक्त डायन माता की कर रहे पूजा-अर्चना।

लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। शारदीय नवरात्रि का पर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। देवी के मंदिरों को सजाया गया है। शहर-शहर, गांव-गांव मातारानी पंडालों में विराजमान हैं। सुबह से लेकर देरशाम तक पूजा अर्चना का दौर चल रहा है। भक्त मातारानी के दर पर आकर मत्था टेक रहे हैं और मन्नत मांग कर रहे हैं। ऐसा ही एक देवी का मंदिर छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के झिंका गांव में है। जहां भक्त डायन माता की पूजा करते हैं। नवरात्रि में मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है। डायन माता के जयकारे की गूंज से पूरा इलाका सराबोर है।

बालोद जिले के झिंका गांव में माता डायन नाम से एक मंदिर की स्थापना की गई है। लगभग 100 वर्ष पूर्व गांव के एक व्यक्ति ने इस मंदिर को स्थापित किया था। ग्रामीणों का कहना है पहले इस गांव में मंदिर नहीं था, लोग ऐसे ही डायन माता की पूजा करते थे। यहां रोज लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा होती है। माता डायन के नाम का यह मंदिर पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। ग्रामीणों की मानें तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त इस मंदिर पर सच्चे मन से मुरादें मांगता है, माता डायन उनकी सारी मुरादें पूरा करती हैं। मुरादें पूरी होने पर भक्त यहां कड़ाही और चुनरी भी चढ़ाता है।

सिकोसा से अर्जुन्दा जाने वाले रास्ते पर स्थित मंदिर को परेतिन दाई माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। झिंका सहित पूरे बालोद जिले के लोग इस मंदिर को परेतिन दाई के नाम से जानते हैं और नवरात्र में यहां विशेष अनुष्ठान किए जा रहे हैं। इस मंदिर में ज्योत भी जलाए गए हैं। झींका गांव की सरहद में बने परेतिन दाई मंदिर का प्रमाण उसकी मान्यता आस्था का वो प्रतीक है। जिसको आज पूरे प्रदेश में जाना जाता है। ग्रामीण गैंदलाल मिरी ने बताया कि बालोद जिले का यह मंदिर पहले एक पेड़ से जुड़ा हुआ था। जहां माता का प्रमाण आज भी उस पेड़ पर है और उसके सामने बिना शीश झुकाए कोई आगे नहीं बढ़ता है। आज भी हम गुजरते हैं तो शीश नवाकर गुजरते हैं और यहां पर जो कोई भी मनोकामना रखता है वो पूरी जरूर होती है।

विशेष रूप से परेतिन दाई सूने गोद को भरती है आपको बता दें गांव के यदुवंशी (यादव और ठेठवार) मंदिर में बिना दूध चढ़ाए निकल जाते हैं तो दूध फट जाता है। ऐसा कई बार हो चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि यह मंदिर काफी पुराना और बड़ी मान्यता वाला है। गांव में भी बहुत से ठेठवार हैं, जो रोज दूध बेचने आसपास के इलाकों में जाते हैं। यहां दूध चढ़ाना ही पड़ता है। जान बूझकर दूध नहीं चढ़ाया तो दूध खराब (फट) हो जाता है। दशकों से इस मंदिर की मान्यता है कि इस रास्ते से कोई भी वाहन या लोग गुजरते हैं और किसी तरह का समान लेकर जाता है, उसका कुछ हिस्सा मन्दिर के पास छोड़ना पड़ता है। चाहे खाने-पीने के लिए बेचने वाले समान या फिर घर बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले समान।

ऐसा लोगों का मानना है कोई व्यक्ति अगर ऐसा नहीं करता है तो उसके साथ कुछ न कुछ घटना होती है और इस रास्ते से गुजरने वाले दोपहिया चारपहिया वाहन चालक अगर परेतिन माता को प्रणाम नहीं करते तो उसकी गाड़ी बंद हो जाती है। फिर वापस परेतिन माता के पास नारियल चढ़ाने पर गाड़ी अपने आप चालू हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां से निकलने वाले हर वाहन चालक को डायन माता के दरबार पर हाजिरी लगानी ही पड़ती है। ऐसा नहीं करने वालों को परेतिन माई सजा देती हैं। मंदिर पूरे साल भक्तों के लिए खुला रहता है। देश के कोने-कोने से भक्त आते हैं और परेतिन माई के दर पर मत्था टेककर मन्नत मांगते हैं। ऐसा दावा किया जाता है कि डायन माता हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करती हैं।

नवरात्रि में परेतिन माता के दरबार में विशेष आयोजन किए जाते हैं। जहां पर ज्योति कलश की स्थापना की जाती है और नवरात्र के 9 दिन बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है। भले ही मान्यता अनूठी हो लेकिन सैकड़ों सालों से चली आ रही परंपरा और मान्यता आज भी इस गांव में कायम है वर्तमान में 100 ज्योति कलश यहां पर प्रज्वलित किए गए हैं। मंदिर को लेकर किवदंती है कि जब भी कोई इस रास्ते से गुजरता है तो उसे अपने पास रखे सामान का कुछ हिस्सा मन्दिर के पास छोड़ना पड़ता है। कोई व्यक्ति अगर ऐसा नहीं करता तो उसके साथ अनहोनी की संभावना बनी रहती है। सेवक चिंताराम सिन्हा बताते हैं कि मंदिर के पास लोग कुछ न कुछ सामान छोड़कर जाते हैं। मान्यता तो कई प्रकार की होती है, लेकिन मां के प्रति अटूट आस्था हो तो ये मान्यताएं सच लगने लगती है। डायना माता भी इसी अटूट आस्था का प्रतीक है, जहां श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर पहुंचता है।

 

 

Exit mobile version