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122 वर्ष बाद चंद्र ग्रहण के साये में पितृ पक्ष की शुरुआत, जानें आपकी जिंदगी में इसका क्या पड़ेगा प्रभाव

122 वर्ष बाद पितरों का स्मृति पर्व पितृपक्ष का शुभारंभ चंद्र ग्रहण के साथ हुआ। पूर्ण चंद्रग्रहण या ब्लड मून रात 11 बजकर एक मिनट से शुरू हुआ और रात 12 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हुआ।

Vinod by Vinod
September 8, 2025
in Latest News, धर्म, राष्ट्रीय
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नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। यूं तो पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण और अमावस्या पर सूर्यग्रहण होता है, लेकिन 122 वर्ष बाद पितरों का स्मृति पर्व पितृपक्ष का शुभारंभ चंद्र ग्रहण के साथ हुआ। पूर्ण चंद्रग्रहण या ब्लड मून रात 11 बजकर एक मिनट से शुरू हुआ और रात 12 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हुआ। यह वर्ष 2022 के बाद सबसे लंबा चंद्रग्रहण था, जो 82 तक दिखाई दिया। जुलाई 2018 के बाद यह पहली बार है कि जब भारत के सभी हिस्सों में पूर्ण चंद्रग्रहण देखा गया। धरती की छाया से पूरी तरह ढंक जाने के बाद चंद्र लाल दिखा।

पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर 21 सितंबर को अश्विन अमावस्या, यानी सर्वपितृ अमावस्या तक चलेगा। यह 16 चंद्र तिथियों का पवित्र काल है, जिसमें हर दिन अलग-अलग तिथियों के हिसाब से श्राद्ध किए जाते हैं। इस साल 8 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध, 9 सितंबर को द्वितीया श्राद्ध और इसी तरह 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर सभी पितरों का श्राद्ध होता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दौरान पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से श्राद्ध और तर्पण ग्रहण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये कर्म पितरों की आत्मा को शांति देते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि लाते हैं।

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जानकार बताते हैं कि चंद्र ग्रहण खगोलीय, धार्मिक और ज्योतिषीय तीनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका सीधा प्रभाव देश-दुनिया की गतिविधियों से लेकर पूजा-पाठ और व्यक्तिगत जीवन पर पड़ता है। हिंदू धर्म में इसे अशुभ अवधि के रूप में जाना जाता है, इसलिए इसके आरंभ से समापन तक कई नियमों का पालन किया जाता है। हालांकि, खगोलशास्त्रियों के लिए यह आकाशीय घटनाओं को समझने का अवसर होता है। वहीं ज्योतिष में इसका असर 12 राशियों और 27 नक्षत्रों पर पड़ता है, जिससे कुछ जातकों को लाभ, तो कुछ की परेशानियां बढ़ने लगती हैं।

जानकार बताते हैं कि जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है। इससे धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस घटना को चंद्र ग्रहण कहते हैं। ज्योतिषियों के मुताबिक चंद्र ग्रहण की शुरुआत से लगभग 9 घंटे पहले सूतक काल लग गया था। इसके प्रारंभ से लेकर ग्रहण के समापन तक ध्यान और मंत्र जाप करना चाहिए। यह बेहद शुभ होता है। इसके अलावा आप भगवान की मूर्तियों को स्पर्श और यात्राएं न करें। इससे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

साल 2025 का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण न्याय के कारक शनि की राशि कुंभ और गुरु के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में लगने वाला है। ऐसे में जिन भी जातकों का जन्म इस नक्षत्र में हुआ है उनपर विशेष कृपा बनी रहेगी। करियर-कारोबार में मनचाहा लाभ मिलने की संभावना है। नई नौकरी की प्राप्ति होगी, जिससे भौतिक सुख में वृद्धि होना संभव है। स्वास्थ्य समस्याएं दूर होंगी और रिश्तों में प्रेम-विश्वास का संचार होने के योग है। चंद्र ग्रहण मेष, वृषभ, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शुभ रहने वाला है। इन राशि वालों को धन लाभ, करियर-कारोबार में सफलता, वैवाहिक सुख और निवेश में मनचाहा लाभ संभव है।

इसके अलावा अटके काम पूरे और भाग्योदय के भी योग बन रहे हैं। मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को सभी क्षेत्र में सावधानियां बरतनी होगी। मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को सभी क्षेत्र में सावधानियां बरतनी होगी। आप कोई भी यात्रा न करें। किसी नए कार्य को शुरू करने का अगर विचार बना रहे हैं, तो अभी ठहराव बेहतर रहेगा। व्यापार में चुनौतियां आ सकती हैं। काम को पूरा करने में दिक्कतें आएंगी। किसी से भी कोई जानकारी साझा न करें। ऐसे जातकों को सावधान रहना होगा।

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह वह समय होता है जब हम अपने पूर्वजों को स्मरण करके तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध विधि से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस अवधि में पूर्वजों को प्रसन्न करने से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है. साथ ही, घर से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। वहीं, वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत होती है और यह आश्विन अमावस्या तक चलता है। इस दौरान तर्पण, हवन और ब्राह्मण भोज जैसे कार्य करना बेहद शुभ माना जाता है।

इस साल पितृ पक्ष का ग्रहणों के साथ संयोग इसे धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से अनोखा बनाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि ग्रहण के समय श्राद्ध और तर्पण का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है, जिससे पितरों की आत्मा को विशेष शांति मिलती है। यह समय न केवल पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का है, बल्कि आत्मचिंतन और परिवार की जड़ों से जुड़ने का भी अवसर देता है। ग्रहण देखते समय सावधानी बरतें। चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है, लेकिन सूर्य ग्रहण के लिए विशेष चश्मे या प्रोजेक्टेड इमेज का इस्तेमाल जरूरी है। पितृ पक्ष 2025 हमें अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को और मजबूत करने का मौका देता है।

 

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