Silver Jewellery Import Ban : भारत में सोना और चांदी सिर्फ शादी-ब्याह या धार्मिक कामों तक सीमित नहीं हैं। इन्हें लोग निवेश का सुरक्षित जरिया भी मानते हैं। जहां सोना सुरक्षित निवेश की पहचान है, वहीं चांदी पर मिलने वाला रिटर्न ज्यादा माना जाता है। यही वजह है कि आम निवेशकों से लेकर ज्वेलरी कारोबार तक, हर कोई इन धातुओं की ओर खिंचता है।
सरकार का बड़ा फैसला
अब मोदी सरकार ने चांदी के आभूषणों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने नोटिफिकेशन जारी कर विदेश से चांदी के आभूषणों के आयात पर 31 मार्च 2026 तक रोक लगा दी है। यानी अब व्यापारी सीधे चांदी के ज्वेलरी प्रोडक्ट्स भारत में नहीं मंगा पाएंगे। हालांकि, अगर किसी खास वजह से इंपोर्ट करना जरूरी हुआ, तो इसके लिए अलग से अनुमति लेनी होगी।
रोक लगाने की वजह
सरकार का कहना है कि पिछले कुछ समय में चांदी के आभूषणों के नाम पर बड़े पैमाने पर आयात बढ़ गया था। जांच में पाया गया कि कुछ व्यापारी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) का गलत इस्तेमाल कर रहे थे। इस कारण घरेलू बाजार और छोटे कारोबारियों पर सीधा असर पड़ रहा था।
DGFT के अनुसार, अप्रैल-जून 2024-25 और अप्रैल-जून 2025-26 के बीच कम ड्यूटी का फायदा उठाकर चांदी के आभूषणों का आयात तेजी से बढ़ा। यह स्थिति भारत के स्थानीय उद्योग और रोजगार दोनों के लिए खतरनाक थी।
घरेलू कारोबार और रोजगार पर असर
विदेशी आयात बढ़ने से भारतीय बाजार में दबाव बढ़ गया। थोक दामों में गिरावट आई और छोटे कारीगरों व घरेलू ज्वेलरी बनाने वालों को नुकसान झेलना पड़ा। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम MSME सेक्टर यानी छोटे और मध्यम कारोबारियों को सहारा देगा। साथ ही, देश के भीतर रोजगार के नए मौके भी खुलेंगे।
आयात में अचानक तेजी
रिपोर्ट्स बताती हैं कि अप्रैल-जून 2025 के दौरान थाइलैंड से बिना जड़ाऊ चांदी के आभूषणों का आयात कई गुना बढ़ गया। हैरानी की बात यह है कि थाइलैंड खुद चांदी बनाने वाला देश नहीं है।
तो फिर भारत में वहां से इतना आयात कैसे बढ़ा? अधिकारियों का मानना है कि यह सब आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) के तहत मिलने वाली ड्यूटी छूट का फायदा उठाने के लिए किया गया। दूसरे देशों में बने प्रोडक्ट्स को थाइलैंड के रास्ते भेजकर टैक्स में फायदा लिया जा रहा था।
आम लोगों पर असर
सरकार का मकसद घरेलू कारोबार को सुरक्षित करना और छोटे उद्योगों को मजबूत बनाना है। हालांकि, आने वाले समय में इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब और ज्वेलरी मार्केट पर कितना होगा, यह बाजार की स्थिति पर निर्भर करेगा।