कपिल देव ने क्या कहा?
इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के ICC सेंटेनरी सेशन में कपिल देव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो हम ‘हेड कोच’ कहते हैं, वह ज्यादा तर खिलाड़ी को मैनेज करने का पद है, न कि स्कूल-कॉलेज वाले कोच की तरह तकनीक सिखाने का। उनके शब्दों में, “गौतम गंभीर कोच नहीं हो सकते, वह टीम के मैनेजर हो सकते हैं। कोच वो होते हैं, जिनसे मैंने स्कूल और कॉलेज में खेल सीखा।”
गंभीर पर सवाल क्यों उठे?
कपिल देव की यह टिप्पणी उस समय आई जब टेस्ट टीम के कोच के तौर पर गंभीर की रणनीतियों पर सवाल उठ रहे हैं। भारत को हाल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में 0–2 से हार झेलनी पड़ी, इससे पहले 2024 में न्यूजीलैंड से 0–3 की क्लीन स्वीप हार भी हुई थी। प्लेइंग इलेवन में लगातार रोटेशन, पार्ट-टाइम गेंदबाजों पर भरोसा और कुछ सीनियर खिलाड़ियों के मौके घटने को लेकर फैंस और एक्सपर्ट्स गंभीर की आलोचना कर रहे हैं।
‘कोच नहीं, मैनेजर’ वाली भूमिका का मतलब
कपिल देव के मुताबिक, इंटरनेशनल क्रिकेट में खिलाड़ी पहले ही अपने-अपने कौशल के एक्सपर्ट होते हैं, ऐसे में हेड कोच हर विभाग (जैसे लेग स्पिन, विकेटकीपिंग आदि) का टेक्निकल गुरु नहीं हो सकता। उन्होंने सवाल किया, “गंभीर किसी लेग स्पिनर या विकेटकीपर के कोच कैसे हो सकते हैं? असल काम तो उन्हें मैनेज करने, आत्मविश्वास देने और सही माहौल बनाने का है।” कपिल ने कहा कि मैनेजर की सबसे अहम जिम्मेदारी खिलाड़ियों को यह महसूस कराना है कि “तुम बेहतर कर सकते हो” और मुश्किल फॉर्म में भी उनका साथ नहीं छोड़ना।
आधुनिक क्रिकेट में कोच की नई परिभाषा
कपिल देव ने यह भी साफ किया कि आज के जमाने में कोच का रोल केवल टेक्निक या टैक्टिक्स तक सीमित नहीं, बल्कि लॉकर रूम का माहौल संभालना, अहंकार और ईगो को मैनेज करना, और ड्रेसिंग रूम को इकाई बनाकर रखना ज्यादा जरूरी है। उनके मुताबिक, कप्तान और हेड कोच—या कहें मैनेजर—का असली काम टीम को जोड़कर रखना, खिलाड़ियों को भरोसा देना और उनके भीतर से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन निकलवाना है।
