INDvsNZ : भारत और न्यूजीलैंड की टीमें आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी (ICC Champions Trophy) 2025 में एक बार फिर आमने-सामने होंगी। दोनों टीमें इस टूर्नामेंट में 24 साल बाद एक-दूसरे के खिलाफ खेलेंगी। इससे पहले, दोनों का मुकाबला साल 2000 के चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में हुआ था। बता दें, कि 15 अक्टूबर 2000 को नैरोबी में खेले गए इस मुकाबले में भारत ने पहले बल्लेबाजी की थी। बता दें, कि सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर की सलामी जोड़ी ने शानदार शुरुआत देते हुए 141 रनों की साझेदारी की थी। तो वहीं सचिन तेंदुलकर 69 रन बनाकर रन आउट हो गए, जिसके बाद भारतीय टीम लगातार विकेट गंवाती रही। हालांकि, कप्तान गांगुली ने 130 गेंदों पर 117 रनों की पारी खेली, जिससे भारत ने 50 ओवर में 264/6 का स्कोर खड़ा किया।
भारतीय गेंदबाजों की शानदार शुरुआत
बता दें, कि लक्ष्य का पीछा करने उतरी न्यूजीलैंड टीम की शुरुआत खराब रही। वेंकटेश प्रसाद ने क्रेग स्पीयरमैन और कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग को जल्दी आउट कर भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया। इसके बाद, अनिल कुंबले ने नाथन एस्टल और रोजर टूज़ को आउट कर न्यूजीलैंड को और मुश्किल में डाल दिया।
क्रिस केर्न्स ने पलटा मैच का रुख
न्यूजीलैंड के लिए क्रिस केर्न्स और क्रिस हैरिस ने छठे विकेट के लिए 122 रनों की साझेदारी की, जिसने टीम को मुकाबले में वापस ला दिया। प्रसाद ने हैरिस को 46 रन पर आउट कर भारत की वापसी की उम्मीद जगाई, लेकिन दूसरी ओर, केर्न्स ने धैर्य और आक्रामकता के मिश्रण से खेलते हुए मैच का पासा पलट दिया।
क्रिस केर्न्स 113 गेंदों में नाबाद 102 रन बनाकर न्यूजीलैंड को फाइनल जिताने वाले हीरो बन गए। उनकी इस पारी में आठ चौके और दो छक्के शामिल थे। बता दें, कि न्यूजीलैंड ने दो गेंद रहते हुए चार विकेट से जीत दर्ज की और पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया।
भारतीय गेंदबाजों का प्रदर्शन
वेंकटेश प्रसाद सबसे सफल गेंदबाज रहे, जिन्होंने 7 ओवर में 27 रन देकर 3 विकेट चटकाए। युवराज सिंह ने 10 ओवर में महज 32 रन देकर किफायती गेंदबाजी की, जबकि सचिन तेंदुलकर ने 10 ओवर में 38 रन देकर एक विकेट लिया। हालांकि, जहीर खान और अजीत आगरकर को कोई सफलता नहीं मिली।
क्या 2025 में बदलेगा इतिहास?
24 साल बाद जब भारत और न्यूजीलैंड फिर से चैंपियंस ट्रॉफी में भिड़ेंगे, तो भारतीय टीम इस हार का बदला लेने की कोशिश करेगी। क्रिकेट प्रेमियों की नजरें इस मुकाबले पर टिकी होंगी, क्या इस बार भारत इतिहास बदल पाएगा?