इस भीड़ -भाड़ की दुनिया में कौन किसकी मदद करता है। आजकल सब लोग अपनी जिंदिगी में इतने व्यस्त है कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा कि उनके आस पास हो क्या रहा है। पर इस मतलबी दुनिया में ऐसे भी लोग है.जिन्हे दुसरो के दर्द से दर्द होता है। दुसरो की गरीबी जिन्हे महसूस होती है ,दुसरो को भूखा देख जी उनका भी जलता है.आज मैं आपको ऐसे ही कुछ लोगो से मिलवाने जा रही हूँ। जिन्हे देख कर आप भी सोचेंगे कि दुनिया में ऐसे भी लोग होते है क्या ?
साईं की रसोई सिर्फ भोजन ही उपलब्ध नहीं कराती
29 अगस्त 2019 में बेगूसराय में साईं की रसोई के जरिये जरूरतमंदो को चाय से भी कम दाम पर यानि पांच रुपये में भरपेट भोजन कराने की व्यवस्था कराई गयी थी। और ये समाज सेवा जाड़ा,गर्मी और बरसात में सभी दिन बरकरार रही है। सदर अस्पताल के बाहर चल रहे इस रसोई में मरीज एवं उनके परिजनों के साथ आम मेहनतकशों को सस्ते दर पर भोजन उपलब्ध करवाया जाता है। जब जब जरूरतमंदो को जरूरत पड़ी तब-तब साईं की रसोई मजबूती से खड़ी रही। साईं की रसोई सिर्फ भोजन ही उपलब्ध नहीं कराती है, बल्कि प्राकृतिक आपदा के समय भी जरूरतमंदों की मदद करती रही है। बाढ़ के समय बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर पका हुआ भोजन, सूखा भोजन, दवाइयां समेत कई प्रकार से मदद करती है।यहाँ तक कोरोना जैसे महामारी में जब लोगो को खाने की जरूरत थी तब भी साई की रसोई पीछे नहीं रही और लोगो को राशन और पका हुआ भोजन वितरण किया।

बेटी की शादी में भी मदद
इसके अलावा जरूरतमंद परिवार की बेटी की शादी हो या किसी पर्व त्योहार का अवसर हो, हर समय मदद को तैयार रहती है ,साईं की रसोई टीम। यही कारण है कि ये रसोई आज किसी भी परिचय की मोहताज नहीं है। इतने अच्छे सामाजिक कार्यो की वजह साई की रसोई आज जिले ही नहीं,बल्कि बाहर के लोगों से भी लगातार सहयोग प्राप्त कर रही है। रसोई टीम के खाद्यमंत्री पंकज, सदस्य ज्ञान, रौनक एवं वैभव ने बताया की जागरूक लोग अपने जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, परिजनों की पुण्य स्मृति में किसी ना किसी दिन साईं की रसोई का खर्च उठा लेते हैं।
भीख न लगे
अब आप सोच रहे होंगे कि जब इन्हे मदद ही करनी है तो लोगो से 5 -5 रूपये भी क्यों ले रहे है तो इसके लिए भी साई की रसोई की टीम ने बताया -भोजन करने वाले से पांच रुपया इसलिए लिए जाते हैं की किसी को यह ना लगे कि उसे भीख में भोजन दिया जा रहा है। भोजन के मूल्य को समझने के साथ ही यह प्रतीकात्मक होता है। टीम के विक्की भाटिया, अंकित शर्मा एवं प्रभाकर प्रताप ने बताया साईं की रसोई की सबसे बड़ी खासियत है भोजन की क्वालिटी, यहां जो भी भोजन लोगों को परोसा जाता है, वह स्वादिष्ट होने के साथ ही साथ पौष्टिक भी होता है। यानि साई की रसोई का खाना बिलकुल सेफ और सुरक्षित है।

3 वर्ष पूरे
साई की रसोई ने सोमवार की रात अपने सफलता के तीन वर्ष पूरे कर लिए है। तीन वर्ष पूरे होने की ख़ुशी में साई क रसोई ने भोजन के मेनू को खास करते हुए जरूरतमंदों को पुड़ी, मटर पनीर की सब्जी, पुलाव, तड़का, रायता एवं खीर कदम मिठाई खिलाई है। इसी के चलते नितेश रंजन, संतोष सोनी एवं गौरव मित्तल ने बताया मौजूदा समय में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्हें एक वक्त का भोजन भी बहुत मुश्किल से नसीब होता है। हमारे देश में लाखों लोग दो जून की रोटी की व्यवस्था करने में भी नाकाम हो जाते हैं। मजबूरी और गरीबी की वजह से लोगों को भूखे पेट ही सोना पड़ जाता है। इसी सोच के साथ बेगूसराय शहर में शुरू की गई साईं की रसोई का मंत्र है कोई भूखा ना सो जाए।
टीम के अमित, शैलेन्द्र, सुमित, कुंदन एवं संदीप ने बताया
फिर टीम के अमित, शैलेन्द्र, सुमित, कुंदन एवं संदीप ने बताया कि हर किसी के लिए भोजन बहुत ही जरूरी है। भोजन के बिना हम लोग जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। भोजन पेट को भरता है तो शरीर को ऊर्जा भी भोजन से ही मिलती है, जिससे हम काम करते हैं और यह मांसपेशियों को मजबूत करता है। अगर हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखना है तो भोजन इसके लिए बहुत ही जरूरी है।
जितना हो सके उतना लोगो तक पहुचाइए
साई की रसोई इतना अच्छा काम कर रही है तो आप भी एक कदम बढ़ाइए और इस स्टोरी को जितना हो सके उतना लोगो तक पहुचाइए ताकि कोई भी इंसान भूखा न सो सके।
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