औरतों को हमेशा से एक बच्चा पैदा करने की मशीन समझा जाता रहा है। महिलाओं की शख्सियत पर ये टैग लगा रखा हैं। महिलाओं पर से इस टैग को हटाने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा मानो एक मसीहा साबित बनकर आए हैं। आपको बता दें कि 9 मई को हिमंत बिस्वा ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि अब इस राज्य में बहुविवाह नहीं होंगे इस पर रोक लगाई जाएगी। वहीं अब उनका एक ट्वीट सामने आया है, जिसमें उन्होंने लिखा कि एक से ज्यादा शादियां करने पर बैन लगाने के लिए असम में एक एक्सपर्ट कमेटी बनेगी। उस कमेटी का काम होगा यह पता लगाना कि बहुविवाह कानून पर रोक लगाने का अधिकार विधानसभा को है या नहीं।
आखिर है क्या बहुविवाह कानून
आपको बता दें कि ‘बहुविवाह कानून’ आईपीसी के धारा 494 के तहत (पति, पत्नी के जिंदा रहते दूसरी शादी करता है) तो वह कानून जुर्म हैं। यह कमेटी संविधान के आर्टिकल 25, जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व और मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एक्ट का निरीक्षण करेगी।
बहुविवाह के खिलाफ खड़े हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत
एक्सपर्ट कमेटी के सभी सदस्य इस मुद्दे पर विचार विमर्श करने के बाद ही अपनी रिपॉर्ट तैयार करेगें। ताकि सही फैसला लिया जा सके, और इसमें गलती की कोई भी गुंजाईश ना हो। आपको बता दें कि 6 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव प्रचार के लिए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा कोडागु जिले के शनिवारासंथे मदिकेरी में गए थे।
जहां पर उन्होनें रोड शो के दौरान वहां कि जनता को संबोधित करते हुए कहा कि असम में समान नागरिक संहिता को लागू करना बहुत जरूरी है। ताकि पुरुष चार-चार शादियां करने और महिलाओं को ‘बच्चा पैदा करने वाली मशीन’ समझने की गुसताखी ना करें। बता दें कि इससे पहले सीएम सरमा ने बाल विवाह के खिलाफ जंग छेड़ते हुए राज्य में बाल विवाह पर रोक लगाई थी।