हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे है। आजादी के 75 सालों बाद भी जातिवाद की दीमक हमारे देश को खोखला करती जा रही है। हाल ही में इसी भेदभाव के चलते एक टीचर ने मासूम बच्चे की जान चली गई। इस घटना ने सभी के हैरान कर दिया है।
दरअसल उमस और गर्मी की वजह से बच्चे को प्यास लगी और आसपास पानी नहीं दिखा तो उसने एक घड़े में रखा पानी गिलास में भरा और पी लिया। जिस घड़े से बच्चे ने पानी लिया वो घड़ा टीचर छैलसिंह के लिए अलग से रखा हुआ था। और इस घड़ा से किसी को पानी पीने की इजाजत नहीं होती थी।

बच्चे की कान की नस फट गई
जिसके बाद टीचर ने इतनी बेरहमी से पिटाई की थी कि बच्चे की कान की नस फट गई और हालत बिगड़ गई। परिजन गुजरात के अस्पताल तक लेकर गए, लेकिन जान नहीं बच सकी। परिजन बच्चे के इलाज के लिए 25 दिन तक भटके। मगर किसी ने सुध नहीं ली। यहां तक कि आरोपी टीचर की तरफ से कोई मदद नहीं दी गई। ये मामला 20 जुलाई का है।

वहीं पुलिस का कहना है कि परिजन की तहरीर पर टीचर के विरुद्ध एससीएसटी एक्ट और धारा 302 के तहत केस दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
इस मामले में सांसद हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट सामने आया है जिसमें सरकार पर निशाना साधा गया है।
टीचर के घड़े से पी लिया पानी
वहीं बच्चे के परिजन ने बताया कि उनका बेटे इंद्र कुमार ने गलती से टीचर के घड़े से पानी पी लिया था। लेकिन जैसे ही टीचर छैल सिंह को पता चला तो उसने बच्चे को बुलाया और जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया। उसके बाद मारपीट करना शुरू कर दी। बेरहमी की हदें पार करते हुए बच्चे को इतना पीटा कि उसके दाहिने कान की नश फट गई।

वहीं उन्होंने बताया कि सोचा था कि थोड़ी चोट लगी होगी। इसलिए पिता बच्चे के लिए एक मेडिकल स्टोर से दवाएं लेकर आए। ज्यादा दर्द होने पर उसे उदयपुर लेकर गए। वहां डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर दिए तो अहमदाबाद के सिविल अस्पताल उपचार में लेकर पहुंचे। लेकिन 13 अगस्त की शाम चार बजे इंद्र कुमार की इलाज के दौरान मौत हो गई।
हम उसे बचा नहीं सके
अस्पताल में रेफर कर दिया। बाद में अहमदाबाद पहुंचे। उसका इलाज अहमदाबाद में करवाया गया, मगर हम उसे बचा नहीं सके। इतना कहते ही देवाराम की आंखें डबडबा गईं और खुद को रोने से नहीं रोक सके।
वहीं राज्य शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जालोर के पुलिस अधीक्षक हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि परिजन ने पिटाई की वजह पीने के पानी के बर्तन को छूना बताया है। हालांकि अभी तक जांच नहीं की गई है।
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