राजस्थान और मध्य प्रदेश के खनन माफियाओं ने उत्तर प्रदेश सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया। जिसकी वजह से सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ है। वर्ष 2018 में यूपी में खनन प्रक्रिया शुरू होते ही माफिया यूपी में एक्टिव हो गये थे। मध्य प्रदेश और राजस्थान की कंपनियों ने फर्जी तरीके से यूपी में अपने पैर पसारने शूरू कर दिये थे। एमपी के पूर्व कार्य अनुभव के तौर पर यूपी के रेत और पहाड़ के खनन कार्य पर माफियाओं ने कब्जा जमा लिया और यहीं से खनन का खेल शूरू हो गया। एमपी के खनन माफिया को एमपी के ही एक अधिकारी का संरक्षण प्राप्त था। वरिष्ठ अधिकारी आशीष तिवारी ने पर्यावरण निदेशालय में खनन माफिया का संरक्षण प्राप्त कराया था। यहां तक कि खनन माफिया और वरिष्ठ अधिकारी ने NGT के आदेशों को भी हवा में उड़ा दिया, NGT की निरस्त की गई पर्यावरण स्वीकृतियां भी खनन माफिया हस्तांतरित करा लेता था। खनन माफिया के नाम पर्यावरण स्वीकृति ट्रांसफर होना और उसको पकडे जाने पर भी माफिया द्वारा जांच को दबवा देना अपने आप में हैरतंगेज था। एसा ही एक प्रकरण सोनभद्र जिले के भरमौरी ग्राम का प्रकाश में आया जिसमें वर्ष 16-03-2018 को जारी पर्यावरण स्वीकृति को 17-02-2019 को NGT के आदेश से रद्द किया गया था। वर्ष 12-02-2021 को वरिष्ठ अधिकारी आशीष तिवारी ने 5 करोड रूपये लेकर एक बेनामी कंपनी को ट्रांसफर करा दिया गया। जिसकी वजह से विगत 4-5 वर्षों में जो खनन कार्य होना था वो माफिया द्वारा कई सालों के पट्टे को एक ही साल में खोद लिया गया इससे राज्य सरकार को करोडों रूपये का राजस्व का नुकसान हुआ। इस फर्जीवाडे की जांच भारत सरकार द्वारा भी कराई गयी थी जिसे माफिया द्वारा दबवा दिया गया। पर्यावरण निदेशालय की SIT जांच में भी कई अहम साक्ष्य मिले थे। पर्यावरण निदेशालय की जांच में 800 फाइलों की जांच की गई थी जिसमे फर्जीवाडा पाया गया। SIT के उपनिदेशक देवेंद्र सिंह तथा दो कंसल्टेंट ग्रीनसीइंडिया के साथ मिलीभगत के कई साक्ष्य मिले। एसआईटी को 35 फाइलों में फर्जीवाड़े के साक्ष्य मिले जोकि राजस्थान एमपी की फर्मों के थे। खनन की पर्यावरण स्वीकृती में दिल्ली की एक लेबोरेट्री की मिलीभगत भी सामने आई। इस फर्जीवाड़े में गाजियाबाद की पर्यावरण कंसंलटेंट ग्रीन सी इंडिया और लखनऊ के आकाश वर्मा ने 35 फर्जी पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त की थीं। पर्यावरण निदेशालय ने कुछ वर्ष पूर्व ही इस कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस पूरे मामले पर ADG STF अमिताभ यश ने ACS अवनीश अवस्थी को पत्र लिखा था और ग्रीन सी इंडिया कंपनी से जुड़ी फर्जीवाड़े की जानकारी दी थी। कंपनी की कार्यकारी नंदिनी चौधरी के नाम का जिक्र भी पत्र में किया गया और पर्यावरण प्रभाव आकलन समिति के सदस्य से बात का जिक्र भी पत्र में था। पत्र में गलत तरीके से खनन पट्टाधारकों को स्वीकृति के बारे में बताया था कि आखिर अन्य राज्य के खनन माफिया कैसे उत्तर प्रदेश में पनपे और राज्य सरकार को काफी राजस्व का नुकसान हुआ। आखिर उत्तर प्रदेश सरकार को खनन माफियों की वजह से करोडों का नुकसान का जिम्मेदार कौन है और कब होगी इन खनन माफियाओं पर कार्रवाई। खनन माफियाओं के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सख्त हैं, अभी हाल ही में खनन को लेकर सीएम ने निर्देश भी जारी किये हैं।