अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले सियासी दलों में हलचल तेज हो गई है। पार्टियों में दलबल शुरू हो गया है। तो वहीं कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा के साथ-साथ कांग्रेस को भी जोड़ने में लगी है। पांच साल पहले कांग्रेस छोड़ चुके शंकर सिंह वाघेला के पुत्र महेन्द्र सिंह वाघेला फिर पार्टी में शामिल किया है। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष जगदीश ठाकोर के अहमदाबाद स्थित प्रदेश कार्यालय में उन्हें खेस पहना कर पार्टी में स्वागत किया।
एक दिन पहले दिया BJP से इस्तीफा
आपको बता दें कि एक दिन पहले यानी 27 अक्टूबर को महेन्द्र सिंह भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद शुक्रवार को महेन्द्र अहमदाबाद स्थित राजीव गांधी भवन पहुंचे। जहां प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में उन्हें कांग्रेस में शामिल किया गया। जानकारी के मुताबिक महेन्द्र सिंह के कांग्रेस में शामिल होने से माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें उनकी पुरानी सीट बायड से उम्मीदवार बनाएगी।
नफरत की राजनीति से एक होकर लड़ेंगे
इस अवसर पर महेन्द्र सिंह ने कहा कि वह अपने पिता शंकर सिंह वाघेला से आशीर्वाद लेकर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि नफरत की राजनीति दूर करने के लिए एक होकर लड़ने की जरूरत है। महेन्द्र सिंह ने कहा कि गुजरात के विकास के लिए वे कांग्रेस में जुड़े हैं। वर्ष 2012 में कांग्रेस की टिकट पर अरवल्ली जिले की वायड विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित महेन्द्र सिंह वाघेला इस साल जुलाई में भाजपा में शामिल हो गए थे। इस पर उनके पिता शंकर सिंह वाघेला ने नाराजगी जताई थी और कहा था कि अपने समर्थकों की राय जाने बिना हड़बड़ी में लिया गया निर्णय है, इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
महेन्द्र सिंह इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं
भाजपा ने यहां से वर्ष 1990, 1998 और 2007 में चुनाव जीता था। वर्ष 2012 में कांग्रेस की टिकट पर महेन्द्र सिंह वाघेला चुनाव जीतने में सफल हुए थे। वर्ष 2017 में धवल सिंह झाला ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए थे। वर्ष 2019 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट दिया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के जशुभाई पटेल यहां से निर्वाचित हुए थे। माना जा रहा है कि इस बार महेन्द्र सिंह वाघेला इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है
उत्तर गुजरात की अरवल्ली जिले की यह सीट राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर जीते धवल सिंह झाला ने बाद में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। लेकिन इसके बाद हुए वर्ष 2019 में हुए उपचुनाव में वे हार गए थे। इस सीट से वर्ष 1998 से वर्ष 2012 तक एक बार भाजपा तो दूसरी बार कांग्रेस जीतती रही है।