कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने सोमवार, 19 सितंबर को घोषणा की थी कि राज्य सरकार इस शैक्षणिक वर्ष से राज्यभर के स्कूलों और कॉलेजों में भगवद् गीता का शिक्षण शुरू करने पर विचार कर रही है। उनकी इस घोषणा के बाद उनकी काफी निंदा की गई, जिसके बाद उन्होंने एक और बयान दिया है। उन्होंने कहा कि गीता कोई धार्मिक पुस्तक नहीं है, जीवन के मूल्यों को सिखाती हैं। यह कुरान की तरह कोई धार्मिक पुस्तक नहीं है। शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि भगवद गीता दिसंबर से राज्य भर के स्कूलों और कॉलेजों में नैतिक शिक्षा पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में पढ़ाया जाएगा।
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि कुरान एक धार्मिक पुस्तक है और भगवत गीता धार्मिक पुस्तक नहीं है। गीता भगवान की पूजा या फिर किसी धार्मिक प्रथा के बारे में नहीं बताती है। यह नैतिकता की बात करती है जो छात्रों को भी प्रेरित करती है।
‘नैतिक शिक्षा के तौर पर होगी पढ़ाई’
प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि हमें पता है कि स्वतंत्रता सेनानियों को भी गीता से आजादी की लड़ाई लड़ने की प्रेरणा मिली थी। उन्होंने विधान परिषद में एमके प्राणेश (बीजेपी) के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘हमने भगवद गीता को एक अलग विषय के रूप में पढ़ाने के प्रस्ताव को छोड़ दिया, लेकिन इसकी शिक्षाओं को नैतिक शिक्षा के हिस्से के रूप में शामिल करने का फैसला किया है।’ उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त कर चुकी है और विभिन्न स्टेकहोल्डर्स की सिफारिशों और सुझावों के आधार पर दिसंबर से गीता की शिक्षाओं को कक्षाओं में पढ़ाया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने ‘बाबा बुदनगिरी’ सहित पाठ्यपुस्तकों में ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के लिए कदम उठाए हैं और इसे ‘इनाम दत्तात्रेय पीठ’ में बदल दिया है। श्री गुरु दत्तात्रेय स्वामी बाबाबुदन दरगाह चिक्कमगलुरु जिले के घने जंगलों में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित एक ऐतिहासिक और समन्वित मंदिर है।
मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने कर्नाटक के स्थानीय राजाओं और राज्यों पर अध्यायों और विषयों को शामिल करने के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब हम पाठ्यपुस्तकों को फिर से संशोधित करते हैं, तो हम जिलों के स्थानीय इतिहास को शामिल करने पर विचार करेंगे।
बीजेपी नेताओं ने उठाए सवाल
बीजेपी के वरिष्ठ सदस्य प्रणेश एमके और एन रविकुमार ने स्कूलों और कॉलेजों में भगवद गीता की शिक्षाओं को एक अलग विषय के रूप में पेश नहीं करने के मंत्री के जवाब पर आपत्ति जताई। सरकार ने पहले घोषणा की थी कि एक विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति करके भगवद गीता को स्कूली पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने पूछा, ‘सरकार अब अपनी पहले की प्रतिबद्धता से खुद को दूर कर रही है। क्या भगवद गीता सिखाने का कोई विरोध नहीं होने पर सरकार को ऐसा करने में कोई परेशानी है?’
वहीं रविकुमार ने कहा, ‘सरकार कहती है कि कर्नाटक में छात्रों के लिए भगवद गीता की शिक्षाओं को लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। क्या सरकार हिचकिचा रही है?’