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लाखों के पैकेज वाली जॉब छोड़ कर दुबई से गांव लौटी मनीषा, अब

लाखों के पैकेज वाली जॉब छोड़ कर दुबई से गांव लौटी मनीषा, अब बना रही हैं मिट्टी के घर

नई दिल्ली: गाय के गोबर और मूत्र और गुड़ से बने ईंट के घरों का निर्माण लोगों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है. इसका एक मिसाल मिट्टी के घर बनाने वाली तीस वर्षीय मनीषा ठाकुर है. वह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की रहने वाली हैं. कोरोना काल में विदेश की लाखों की नौकरी छोड़ भारत लौटीं और मिट्टी के घर बनाने के काम में जुट गईं. पहले उन्होंने मिट्टी के घर बनाने का प्रशिक्षण लिया और उसके बाद अब वह शहरों में मिट्टी की ईंटों से घर बना रही हैं.

हाल ही में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में उनके मिट्टी के घर की प्रदर्शनी लगाई गई थी. मनीषा का कहना है कि मिट्टी की ईंटों को तैयार करने के लिए गोबर, गोमूत्र, गुड़, हरड़ और नीम के पानी के साथ भूसे और चूने का इस्तेमाल किया जाता है. जिस स्थान पर मिट्टी का घर बनाया जाता है, वहां पहले गड्ढे खोदे जाते हैं और उसके बाद मिट्टी की ईंटें तैयार की जाती हैं. इसके बाद घर का निर्माण कार्य शुरू होता है. मिट्टी परीक्षण किया जाता है.

इतना ही नहीं, मनीषा और उनकी टीम पारंपरिक भारतीय संस्कृति और सभ्यता की झलक देते हुए दीवारों पर मिट्टी के घर बनाने के साथ-साथ दीवारों पर वॉल आर्ट भी बनाती है. मिट्टी की ईंटों से बने घर में सबसे पहले यह देखा जाता है कि कहीं दरार तो नहीं आ रही है. मनीषा का कहना है कि जब लोग ऐसे घरों के निर्माण के बारे में सुनते हैं, तो वे उनके बारे में और जानने में रुचि दिखाते हैं. दरअसल मिट्टी से तैयार ये घर ईको-फ्रेंडली होते हैं.

जॉब छोड़ भारत आकर मिट्टी का घर बनाना सीखा

मनीषा ठाकुर का कहना है कि इससे पहले वह दुबई में एक कॉरपोरेट कंपनी में काम करती थी. कोरोना महमारी के दौरान वहां से भारत लौटीं और उसके बाद तमिलनाडु जाकर मिट्टी के घर बनाने का प्रशिक्षण लिया और पूरे एक साल वहां मिट्टी के कई घर बनाये. फिर उन्होंने हिमाचल में पहले अपना मिट्टी का घर बनाया. अब वह विभिन्न थीम वाले मिट्टी के घर तैयार कर रही है.

ऐसा आया मिट्टी के घर बनाने का ख्याल

मनीषा ने बताया कि, उनके पड़ोस में गौशाला बन रही थी. जिसमें वह मदद कर रह थीं. तभी मिट्टी की ईंटों से घर बनाने का विचार आया और इस पर शोध किया. देखा कि भारत में कहां मिट्टी की ईंटों से मकान बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है और कहां ऐसे घर बन रहे हैं. फिर वह तमिलनाडु गई और वहां से प्रशिक्षण ली. गांव से होने के कारण कच्चे मिट्टी के मकान बचपन से ही बनते थे, लेकिन इन घरों में दीमक की शिकायत रहती थी.

विभिन्न जगहों पर हो रहे मिट्टी के घरों का निर्माण

उन्होंने बताया कि, इस समय हमारे पास टीम है जो अलग-अलग जगहों पर मिट्टी के घर बना रही है. ईंट, रेत और सीमेंट से बने घर मिट्टी के 30 प्रतिशत सस्ते घर बनाते हैं और बहुत मजबूत और टिकाऊ भी होते हैं. पुराने जमाने में भी पत्थर के घर बनते थे और उस पर मिट्टी का लेप लगाया जाता था. ऐसे घर आज भी आपको गांवों में मिल जाएंगे. मिट्टी से बने ये घर पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और बाहर के तापमान को अंदर से करीब 8 डिग्री तक कम कर देते हैं.

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