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Morbi Bridge Accident: 142 साल पुराना पुल भारत की आजादी की लड़ाई

Morbi Bridge Accident: 142 साल पुराना पुल भारत की आजादी की लड़ाई का गवाह रहा, जानें 1880 में मच्छु नदी पर बने इस ब्रिज का इतिहास

गुजरात के मोरबी में रविवार शाम मच्छु नदी में बना केबल ब्रिज के अचनाक टूटने से अब तक 141 लोग की मौत हो चुकी है। जानकारी के अनुसार हादसे के समय 100 लोगों की क्षमता वाले पुल पर 500 से ज्याद लोग मौजूद थे। अब तक 177 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। कई लोग इस समय अस्पताल में भर्ती हैं। मौके पर लगातार राहत और बचाव कार्य जारी है। हादसे को देखते हुए लग रहा है कि अभी मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है।

राम झुले की तरह झुलता था ये पुल

क्या आप मौत के इस पुल का इतिहास जाते है। ये कब बना और किसने बनवाया। हम आपको बताते है। दरअसल मच्छु नदी पर बने केबल ब्रिज का इतिहास करीब 140 साल पुराना था। यह पुल गुजरात के प्रमुख टूरिस्ट प्लेस में से एक था। यहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग घूमने आते थे। इस पुल पर जाने के लिए 17 रुपये और बच्चों के लिए 12 रुपये की टिकट लगती थी। यह पुल ऋषिकेश के राम और लक्ष्मण झूले की तरह झुलता रहता था। इसलिए इसको झुलता पुल भी कहा जाता था। इस पुल की क्षमता 100 लोगों की थी लेकिन हादसे के दौरान इसपर 500-700 लोग जमा थे। इतना बोझ नहीं झेल सकने के कारण ये पुल टूटकर नदी में गिर गया।

भारत के सबसे पुराने पुलों में सेे एक

वहीं आपको बता दें कि इस पुल का निर्माण अग्रेंजों के समय में 1880 में पूरा हुआ था। मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने इसका उद्घाटन किया था। उस समय इसे बनाने में करीब 3.5 लाख रुपये का खर्च आया था। इसकी लंबाई 230 मीटर और चौड़ाई 1.25  मीटर थी। वहीं पुल के निर्माण के लिए सारा सामान ब्रिटेन से मंगवाया गया था। निर्माण से लेकर अब तक इस पुल की कई बार मरम्मत की गई। यह पुल भारत की आजादी की लड़ाई का गवाह भी रह चुका है। इसलिए ये भारत के सबसे पुराने पुलों में से एक था।

रखरखाव से लेकर टोल वसूलने तक की जिम्मेदारी

वहीं अंग्रेजों के जमाने के इस ब्रिज के रखरखाव की जिम्मेदारी वर्तमान में ओरेवा ग्रुप के पास है। पहले इस पुल के रख रखाव की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम के पास थी। बाद में इसके लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया। इसी ट्रस्ट ने कुछ समय पहले पुल के पुनर्निर्माण और रख रखाव को लेकर ओरेवा कंपनी को टेंडर दिया था। जिसके बाद इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए इस पुल के रखरखाव, सफाई, सुरक्षा और टोल वसूलने जैसी सारी जिम्मेदारी ओरेवा कंपनी को दी गई थी। पिछले 6 महीने से मरम्मत के कारण यह पुल लोगों के लिए लोगों के लिए बंद था।

जिंदल ग्रुप ने दी थी 25 साल की गारंटी

इसके बाद भी इतना बड़ा हादसा हो गया। आखिर कहां चूक रही इस बात को लेकर कई सवाल उठ रहे है। मिली जानकारी के अनुसार जिंदल ग्रुप की 25 साल की गारंटी दी थी। हालांकि इस ब्रिज पर एक साथ केवल 100 लोगों के जाने की परमिशन थी। वहीं अभी तक इस ब्रिज को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था। सरकार की तीन एजेंसियों के द्वारा जांच होनी बाकी थी। इसी बीच दिवाली की हड़बड़ी में इस ब्रिज का उद्घाटन कर दिया गया।

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