गुजरात के मोरबी हादसे को शायद ही कोई कभी भूल पाएगा। 142 साल पुराना पुल रेनोवेशन कुछ ही दिन बाद टूट गया। इस दौरान मच्छु नदी में डूबने से 134 लोगों की मौत हो गई। मोरबी में हर तरफ अपनों को खोने का गम, शवों से लिपटकर रोने की आवाजें और एंबुलेंस के सायरन गूंज रहा है। पोस्टमार्टम के लिए लाशों के ढ़ेर लग गए थे।
‘चारों कब्रें एक परिवार की हैं’
वहीं मोरबी के सबसे बड़े कब्रिस्तान के मुख्य कार्यवाहक गफ्फूर पास्तिवाला ने बताया कि ” इतनी लाशें थी कि हमें रात भर में 40 कब्रें खोदनी पड़ीं और 12 घंटे के भीतर 20 लोगों को दफन किया। जिनमें 8 मासूम भी शामिल थे।” उन्होंने कहा कि इस घटना ने 200 से अधिक लोगों को अकल्पनीय दुख में डाल दिया है। इसी बीच उन्होंने चार कब्रों की एक पंक्ति की ओर इशारा कहा कि वे सुमारा परिवार के थे। जिन्होंने इस हादसे में सात सदस्यों को खो दिया। जिनमें 4 बच्चे और 3 महिलाएं थी।
इस दिल दहला देने वाले हादसे के एक दिन बाद व्यवसाय बंद और सड़कें सुनसान दिखाई दी। उन्होंने कहा कि मच्छु नदी के उस पार मोक्षधाम श्मशान में भी कई लाशों का अंतिम संस्कार हुआ है।
चाइनीज खाना खाने गए फिर फोन आया…लाशें की पहचान हो गई
इस बीच एक पीड़ित व्यक्ति ने कहा कि दो 10 वर्षीय लड़कों जिनका नाम युवराज और गिरीश मकवाना था, उनकी जलती हुई चिता को देखते हुए कहते हैं कि “मेरा चचेरा भाई है वह अपने बेटे और भतीजे को कुछ चाइनीज खाना खिलाने गए थे, इस दौरान वे पुल देखने भी चला गया और फिर करीब 1 बजे हमें एक फोन आता है। जिसमें सामने से आवाज आती है कि उनके शवों की पहचान कर ली गई है। वहीं सौराष्ट्र के छोटे से शहर में एक अन्य सामुदायिक कब्रिस्तान में भी मुचड़िया परिवार ने अपने तीन युवा लड़कों को दफनाया।