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मरीज के फूले पेट को देखकर जब डॉक्टर ने किया आपरेशन तो निकलने लगे सिक्के, 3 महीनों में उसने निगला था सैकड़ों सिक्का

Karnataka: मरीज के फूले पेट को देखकर जब डॉक्टर ने किया आपरेशन तो निकलने लगे सिक्के, 3 महीनों में उसने निगला था सैकड़ों सिक्का

कर्नाटक के बागकोट से एक हैरान कर देंने वाला मामला सामने आया है। यहां एक मरीज के शरीरी से दो घंटे की सर्जरी के बाद 187 सिक्के निकाले हैं। इस घटना से डॉक्टर भी हैरान रह गए। शख्स का नाम दयमप्पा हरिजन है और वो रायचूर जिले के लिंगसुगुर शहर का निवासी हैं। बागलकोट के हनागल श्री कुमारेश्वर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि उल्टी और पेट में तकलीफ की शिकायत ते बाद यहां भर्ती कराए गए मरीज के शरीर से उन्हें 187 सिक्के मिलें है।

इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने बताया कि मरीज सिजोफ्रेनिया मानसिक बीमारी से पीड़ित है और उसने दो से तीन महीने में अवधि में कुल 1.5 किलोग्राम वजन के सिक्के निगल लिए थे। 26 नवंबर को पेट में दर्द की शिकायत के बाद, उसके रिश्तेदार उसे अस्पाताल ले गए। डॉक्टरों ने उसका एक्स-रे और एंडोस्कोपी की। डॉक्टर ने कहा कि मरीज ने कुल 187 सिक्के निगले थे। इसमें 5 रुपये के 56 सिक्के, 2 रुपये के 51 और 1 रुपये के 80 सिक्के थे।

बता दें कि हरीजन की सर्जरी करने वाले डॉक्टर ईश्वर कलबुर्गी ने बताया, मरीज एक मनोरोग समस्या से पीड़ित है और वह इन सिक्कों को पिछले दो-तीन महीने से निगल रहा था। वह उल्टी और पेट में तकलीफ की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचा था। उसके लक्षणों के आधार पर हमने एकस-रे और एंडोस्कोपी की जिससे पता चला की मरीज के पेट में सिक्के है। फिर हमने उसका ऑपरेशन करने का फैसला किया। डॉक्टर ने कहा कि सर्जरी करना मुश्किल था, लेकिन काम बस ये था कि उसके पेट से सभी सिक्कों को बाहर निकाला जा सके। डॉक्टर ने बताया, मरीज का पेट बहुत ज्यादा फैल गया था। और पेट के अलग- अलग हिस्सों में ढें सारे सिक्के अटके हुए थे।दो घंटे की सर्जरी के बाद जाकर हमने सारे सिक्के निकाल लिए।

ऑपरेशन के बाद मरीज में पानी की कमी और छोटी दिक्कते हुई जिसका अब इलाज हो रहा है। मरीज की स्थिती स्थिर है और अब वह बोल भी पा रहा है। सिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है जो बहुत गंभीर मानी जाती है। इस बीमारी से पीड़िता मरीज अक्सर एक तरह के भ्रम की स्थिति में रहते है। ये बीमारी पुरुष और महिलाएं को किसी भी उम्र में हो सकती है। कई लोग इस बीमारी को स्प्लिट पर्सनैलिटी समझ लेते हैं लेकिन ये एक अलग तरीके का डिसऑर्डर होता है। इसमें मरीज इस बात से अनजान होते हैं कि वे क्या कर रहे हैं।

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