रायगढ़। NGT ने जिन सड़कों के निर्माण के लिए राज्य सरकार को अल्टीमेटम दिया था, वे अभी भी अधूरी पड़ी हैं। एक सड़क का काम तो शुरू भी नहीं हो सका है। उद्योगों – कोयला खदानों के कारण खराब हो चुकी सड़कों को बनाने में सरकार का ध्यान रहा ही नहीं। दो सालों से NGT निर्देश दे रही है, लेकिन सड़कों का काम बेहद धीमा है।
प्रदूषण, फ्लाई एश, खराब सड़कें, स्वास्थ्य आदि मुद्दों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में केस दायर किया गया था। प्रदूषण दूर करने के अलावा तीन सड़कों के निर्माण का अल्टीमेटम राज्य सरकार को दिया गया था।
रिटायर्ड न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी का गठन
सरकार को इन सड़कों का निर्माण जल्द से जल्द करने का आदेश दिया गया था। 2018 में मामला दायर हुआ था, जिसके बाद NGT ने हाईकोर्ट बिलासपुर के रिटायर्ड न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था।
कमेटी ने छह महीने तक तमनार और घरघोड़ा क्षेत्र का निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 111 किमी रोड की हालत बेहद खराब है, तब एनजीटी ने सरकार को 330 करोड़ का फंड मंजूर करते हुए जल्द से जल्द निर्माण का आदेश था। इन सड़कों में जामपाली से घरघोड़ा 19 किमी , रायगढ़ से धरमजयगढ़ 56 किमी और पूंजीपथरा से मिलूपारा 23 किमी हैं। विडंबना है तीनों में से दो तो ठीक से शुरू ही नहीं हो सकी हैं ।
एक सड़क का टेंडर ही नहीं हो पाया है। NGT ने 15 फरवरी 2022 को आदेश देकर अगली सुनवाई 5 अगस्त से पहले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। ज्वाइंट कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि तीनों ही सड़कों में कोई प्रोग्रेस नहीं है। इसका खामियाजा उस क्षेत्र के लोग उठा रहे हैं
2 करोड़ से बननी है जामपाली रोड
2018 से मामले की सुनवाई चल रही है। इस बीच कई बार NGT ने सड़कों के निर्माण की समीक्षा की है। पीडब्ल्यूडी के अधीन इन सड़कों का निर्माण बेहद धीमा है। जामपाली से घरघोड़ा के 19 किमी रोड का ठेका 42.46 करोड़ रुपए में राहुल कंस्ट्रक्शन धमतरी को दिया गया है। वर्क ऑर्डर 2 अगस्त 2021 को हुआ था। नवंबर 2022 तक इस रोड का निर्माण पूरा होना था लेकिन कमेटी ने पाया कि रोड निर्माण में कोई प्रोग्रेस ही नहीं है।.
इसी तरह रायगढ़ से धरमजयगढ़ से तक 56 किमी रोड का ठेका 92.25 करोड़ में मेसर्स बीबी वर्मा कोरबा को गया है । इस रोड का वर्क ऑर्डर 10 जनवरी 2022 को हुआ है । 36 महीने अर्थात 10 जनवरी 2025 तक निर्माण पूरा किया जाना है । इस रोड की प्रगति भी बहुत धीमी है । अगर एनजीटी ने सड़कों के निर्माण के लिए छग सरकार को निर्देश नहीं दिया होता तो मंजूरी भी नहीं मिली होती।
ठेका कंपनी ने दिया धोखा, फिर से टेंडर
एनजीटी ने तीसरी रोड पूंजीपथरा, तमनार से मिलूपारा 23 किमी के निर्माण का आदेश दिया था । यह सड़क कोयला परिवहन के कारण बर्बाद हो चुकी है। इस रोड के लिए 62.40 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। ठेका मेसर्स राधेश्याम अग्रवाल को मिला था लेकिन ठेकेदार ऐन वक्त पर निर्माण से पीछे हट गया। अब दोबारा टेंडर हो रहा है। पीडब्ल्यूडी ईई ने ठेका कंपनी को डी – ग्रेड करने अनुशंसा भी की है जिस पर राज्य सरकार ने चुप्पी साध ली है
ये भी पढ़े-पार्थ चटर्जी के बाद अब ईडी करने जा रही है TMC के इन 19 नेता और मंत्रियों की संपत्ति की जांच