पटना हाई कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ी राहत मिली है। बता दें कि मंगलवार को हाई कोर्ट ने जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वक्षण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं इसी के साथ बिहार में जाति आधारित सर्वे को हरी झंडी मिल गई है।
इस मामले में पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ का फैसला आने के बाद अदालत के बाहर पत्रकारों से मुखातिब याचिकाकर्ताओं क वकील दीनू कुमार ने कहा कि वह आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Suprme Court) का रुख करेंगे. दीनू कुमार ने बताया, ‘पीठ ने खुली अदालत में कहा कि वह सभी याचिकाओं को खारिज कर रही है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें अभी इस आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हुई है. फैसला देखने के बाद ही हम कुछ और कह सकेंगे। बेशक, फैसले का तात्पर्य यह है कि राज्य सरकार सर्वेक्षण कर सकती है. हालांकि, हम इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।
याचिकाओं में इन बिन्दुओं पर जताई गई थी आपत्ति
- जाति आधारित गणना से जनता के निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
- राज्य सरकार सर्वेक्षण के नाम पर जनगणना करा रही है जो इसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
- सरकार ने इस गणना का उद्देश्य नहीं बताया है, जिससे इन संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग किया जा सकता है।
- राज्य सरकार द्वारा एकत्रित डाटा की सुरक्षा पर भी प्रश्न।
- राज्य सरकार ने आकस्मिक निधि से 500 करोड़ इस सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल किया है, जो जनता के धन का दुरुपयोग है।
- संविधान राज्य सरकार को इस तरह का सर्वेक्षण करने की अनुमति नहीं देता है