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बीरभूम हिंसा: भाजपा का आरोप क्या? छिपाना चाहती हैं ममता दीदी

बीरभूम हिंसा: भाजपा का आरोप क्या? छिपाना चाहती हैं ममता दीदी

West Bengal News: पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा का मुद्दा आज भी गरमाया हुआ है. आज विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के विधायक इस मुद्दे पर भिड़ गए. हंगामा ऐसा बरपा की बात हाथापाई तक पहुंच गई. टीएमसी और बीजेपी ने विधानसभा के अंदर एक दूसरे से मारपीट का आरोप लगाया है. वहीं, बीजेपी ने अब केंद्र सरकार से इस मामले में दखल देने की मांग की है। 

केंद्र सरकार को करना चाहिए हस्तक्षेप- शुवेंदु

बीरभूम घटना को लेकर पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामे पर विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी ने कहा, ”तृणमूल कांग्रेस, उनके गुंडे और पुलिस के ख़िलाफ़ हमारा मार्च है. इसको लेकर हम स्पीकर के पास भी जाएंगे. बंगाल में जो हालत हैं, उसको लेकर केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्होंने कहा, ”सदन का आखिरी दिन होने के चलते हमने राज्य के क़ानून व्यवस्था पर चर्चा की मांग की. ऐसा न होने के बाद संवैधानिक तरीके से विरोध किया, जिसके बाद सिविल ड्रेस पहने पुलिस कर्मी और टीएमसी के विधायकों ने हमारे (बीजेपी के) विधायकों को मारा।

ममता बनर्जी क्या छिपाना चाहती हैं?- बीजेपी

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्विटर पर लिखा, ”पश्चिम बंगाल विधानसभा में बेहद खराब हालात, पहले गवर्नर और अब बीजेपी विधायकों से टीएमसी ने की बदसलूकी. चीफ व्हिप मनोज तिग्गा के साथ भी बदतमीजी हुई. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि बीजेपी रामपुरहाट में हुई हिंसा पर चर्चा की मांग कर रही थी, ममता बनर्जी क्या छिपाना चाहती हैं?”

कांग्रेस ने की अनुच्छेद 355 लगाने की मांग

वहीं, हिंसा को लेकर कांग्रेस भी टीएमसी पर हमलावर है. पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सीएम ममता के शासन में कानून और व्यवस्था की स्थिति चरमरा जाने का आरोप लगाते हुए राज्य में अनुच्छेद 355 लागू करने की मांग की है. अधीर रंजन ने कहा कि हिंसा की घटनाएं राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त होने और अपराधियों के साथ टीएमसी की मिलीभगत का संकेत देती हैं।

बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 355 आपात स्थिति से संबंधित है, जिसके तहत केंद्र बाह्य आक्रमण या आंतरिक अशांति से किसी राज्य की रक्षा करने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है।

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