बिहार: 1994 में मुजफ्फरपुर के खोबरा में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या हो गयी थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की समय से पहले हुई रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई को तैयार कर लिया है। इस मामले में कोर्ट 8 मई को सुनाई करेगा। आपको बता दें, डीएम की पत्नी उमा ने बिहार सरकार के फैसले को चुनौती दी थी और याचिका दाखिल की थी। आइए आपको बताते हैं ये पूरा मामला।
क्या है पूरा मामला?
1994 में मुजफ्फरपुर के खोबरा में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की ह्त्या कर दी गयी थी। इस मामले में मुख्य आरोपी आनंद मोहन, लवली आनंद और मुन्ना शुक्ला समेत कई लोग हैं। साल 2007 में निचली अदालत ने इस मामले को लेकर फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में उनकी सजा को उम्र कैद में बदल दिया गया।
नियमावली में हुए बदलाव
2012 में जेल नियमावली में बिहार सरकार ने एक संशोधन किया था जिसके तहत 5 तरह के अपराध को जघन्य माना गया था। इस नियमावली में आतंकवाद, डकैती के साथ हत्या, रेप के साथ हत्या, एक से अधिक हत्या और सरकारी कर्मचारी की हत्या शामिल थी। नियमावली के मुताबिक उम्र कैद की सजा पाए अपराधियों को 20 साल से पहले किसी भी तरह की छूट नहीं मिलेगी। हाल ही में इस नियमावली पर बिहार सरकार ने बदलाव किया है। . इसके तहत सरकारी कर्मचारी की हत्या को सामान्य हत्या की श्रेणी में शामिल किया गया है। सरकारी नियम में बदलाव करने के बाद इसका फायदा आनंद मोहन को मिला है।