लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब तक तीन चरणों में 39 जिलों की 172 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। 23 फरवरी को चौथे चरण की 59 सीटों पर मतदान है। चौथे चरण के मतदान के पहले सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोक दी है। इन 9 जिलों में रायबरेली जिले की विधानसभा सीटों के बारे में आपको बताते है, लेकिन रायबरेली जिले की विधानसभा सीटों के बारे में जानने से पहले आपको रायबरेली का इतिहास जानना चाहिए, जो अपने आप में इतना समृद्ध है कि रायबरेली की राजनीति दिलचस्प हो जाती है।
सौहार्द की धरती रायबरेली में सूफी काव्य का पहला ग्रंथ पद्मावत लिखा गया। यहीं ऋषि दालभ्य और महर्षि गर्ग ने गंगा के किनारे तप किया। होली के दिन छल से वीरगति को प्राप्त हुए राजा डाल-बाल देव की याद में सैकड़ों वर्ष बाद आज भी डलमऊ की होलिका दहन नहीं होता। उसी रायबरेली की राजनीति अब जाति-धर्म में बंट गई है। जाति के आधार पर चुनाव में वोट मांगने और देने का चलन चल निकला है। यह चुनाव भी अछूता नहीं है। जातियों के जोर के बीच हो रहे चुनाव में कई नेताओं और पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। रायबरेली जिले में 6 विधानसभा सीट है। जिनमें बछरावां, हरचंदपुर, रायबरेली, सलोन, सरेनी और ऊंचाहार शामिल है।
रायबरेली विधानसभा सीट
रायबरेली में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर भगवा झंडा उठाने वाली विधायक अदिति सिंह को उम्मीदवार बनाया है। अदिति सिंह पिछले काफी समय से कांग्रेस आलाकमान पर सवाल उठा रही थीं और हाल ही में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था। कांग्रेस ने डॉ.मनीष सिंह को, समाजवादी पार्टी ने राम प्रताप यादव को और बहुजन समाज पार्टी ने रायबरेली विधानसभा सीट से मोहम्मद अशरफ को टिकट दिया है।
2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं अदिति सिंह ने अपने करीबी प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी के मोहम्मद शाहबाज खान को लगभग 90 हजार मतों के भारी अंतर से हराया था। 2012 में पीइसीपी से अखिलेश सिंह ने सपा के राम प्रताप यादव को हराया था। जबकि कांग्रेस के अवधेस प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे।
रायबरेली विधानसभा क्षेत्र में तीन लाख से अधिक मतदाता हैं। रायबरेली विधानसभा सीट की गिनती राजपूत बाहुल्य सीटों में होती है। ब्राह्मण के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी रायबरेली विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में दलित और मुस्लिम मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं।
बछरावां विधानसभा सीट
बछरावां विधानसभा सीट रायबरेली जिले का एक हिस्सा है। जिले की कुल 6 विधानसभा सीटों में से एक बछरावां विधानसभा सीट बीजेपी ने अपने सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) को दी है। इस सीट पर अपना दल (S) से लक्ष्मीकांत चुनाव मैदान में हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने श्याम सुंदर को टिकट दिया है। इसके अलावा बसपा ने लाजवंती कुरील को उम्मीदवार घोषित किया है जबकि कांग्रेस ने सुशील पासी को टिकट दिया है। यहां पर आम आदमी पार्टी के टिकट पर दीपांकर चुनाव मैदान में हैं। 2017 के चुनाव में बछरावां सीट पर भाजपा के रामनरेश रावत ने कांग्रेस के साहब सरन को 22309 वोट से चुनाव हरा दिया था। वहीं 2012 में सपा के रामलाल अकेला ने आरएसबीपी के सुशील कुमार पासी को 27948 वोट से शिकस्त दी थी।
बछरावां विधानसभा में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी, शिक्षा और सरकारी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड का न होना है जो कि क्षेत्रवासियों के लिए बहुत बड़ी समस्या है। रायबरेली जिले के बछरावां विधानसभा में लगभग 3 लाख 12 हजार मतदाता हैं। बछरावां विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण के आधार पर एससी की आबादी अच्छी खासी है। यहां ब्राह्मण, ठाकुर, यादव और मुस्लिम के वोट निर्णायक हो सकते है।
हरचंदपुर विधानसभा सीट
हरचंदपुर में इस बार बीजेपी ने राकेश सिंह को टिकट दिया है, वही उनके मुकाबले में समाजवादी पार्टी ने राहुल लोधी को मैदान में उतारा है। बहुजन समाज पार्टी ने शेर बहादुर सिंह को सपा और बीजेपी के कैंडिडेट से चुनावी मुकाबला करने के लिए भेजा है। तो कांग्रेस ने इस बार सुरेंद्र विक्रम सिंह को उम्मीदवार बनाया है। रायबरेली की यह सीट अपने राजनीतिक समीकरणों के चलते सूबे की हॉट सीट्स में से एक है। 2017 के विधानसभा चुनावों में राकेश सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर दावेदारी ठोकी थी और अपनी करीबी प्रतिद्वंदी बीजेपी की उम्मीदवार कंचन लोधी को 3.5 हजार से भी ज्यादा मतों के अंतर से पराजित किया था। 2008 में हरचंदपुर विधान सभा सीट अस्तित्व में आई। साल 2012 में यहां पहला विधानसभा चुनाव हुए और इस नई सीट पर सपा की साइकिल चल गई। कांग्रेस के गढ़ में समाजवादी पार्टी के सुरेंद्र विक्रम सिंह ने कांग्रेस के शिव गणेश को 14193 मतों से चुनाव हराया था।
कच्चे रास्ते, लो वोल्टेज, पेयजल और बेसहारा मवेशियों की समस्याएं यहां के प्रमुख मुद्दे है। हरचंदपुर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां करीब पौने तीन लाख मतदाता हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में राजपूत और ब्राह्मण मतदाताओं की बहुलता है। हरचंदपुर विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम तय करने में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं।
सरेनी विधानसभा सीट
सरेनी विधानसभा सीट पर इस बारे बीजेपी ने धीरेंद्र बहादुर सिंह को उतारा है। वही कांग्रेस से सुधा द्विवेदी चुनावी रण में है जबकि सपा से देवेंद्र प्रताप सिंह, बसपा से ठाकुर प्रसाद यादव और आप से देवेंद्र पाल को टिकट मिला है। 2017 में भाजपा ने यहां जीत हासिल की। इस चुनाव में भाजपा के धीरेंद्र बहादुर सिंह ने बसपा के ठाकुर प्रसाद यादव को 13007 वोट से हराया था। कांग्रेस के अशोक सिंह तीसरे स्थान पर आए थे। वहीं 2012 में सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने बसपा के सुशील कुमार को 12919 वोट से हराया था। इस चुनाव में कांग्रेस तीसरे स्थान पर और भाजपा पांचवे स्थान पर रही थी।
यहां ब्राह्माण मतदाताओं की संख्या एक लाख से अधिक है तो क्षत्रिय मतदाता भी 90 हजार के करीब हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 25 हजार के करीब है। यादव मतदाता भी ठीक-ठाक संख्या में हैं। सरेनी में सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। यहां की मुख्य समस्या बेरोजगारी है।
ऊंचाहार विधानसभा सीट
ऊंचाहार विधानसभा सीट से इस बार बीजेपी ने अमरपाल मौर्य, कांग्रेस ने अतुल सिंह, सपा ने मनोज पांडेय, बीएसपी ने अंजलि मौर्य और आम आदमी पार्टी ने राहुल सिंह को टिकट दिया है। रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा सीट पर सपा लगातार दो बार से विजयी रही है। 2012 के चुनाव में सपा से मनोज पांडेय, वर्तमान में यूपी के उपमुख्यमंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे और बसपा प्रत्याशी उत्कृष्ट मौर्य को मात देकर विधायक बने और अखिलेश सरकार में मंत्री बने। इसके बाद 2017 में भी सपा से मनोज पांडे ने इस बार भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे उत्कृष्ट मौर्य को 1934 वोट से हरा दिया। सपा से मनोज पांडेय 2012 और 2017 में जीतकर लगातार दूसरी बार विधायक हैं।
2011 के आंकड़ों के अनुसार ऊंचाहार विधानसभा सीट पर कुल मतदाता 3,24,885 है, जिसमें 51.5 फीसदी पुरुष हैं, जबकि 48.5 फीसदी महिलाएं हैं। यहां जातीय समीकरण के लिहाज से देंखे तो सबसे ज्यादा आबादी दलित मतदाता है, खासकर पासी समुदाय के। अनुमान के मुताबिक यहां करीब 75 हजार पासी समुदाय के वोटर हैं। इसके बाद करीब 50 हजार यादव, 45 हजार मौर्या, 30 हजार ब्राह्मण, 26 हजार राजपूत, 28 हजार मुस्लिम, 25 हजार चमार, 12 हजार लोध, 10 हजार कुर्मी सहित करीब 50 हजार अन्य ओबीसी जातियां हैं।
ऊंचाहार विधानसभा की सड़के इतनी जर्जर है कि यह पता नहीं चल पाता कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क। इसी के साथ ऊंचाहार में बने पुल सालों से जर्जर हैं। इस कारण हजारों लोगों को रोजाना परेशानी उठानी पड़ती है। रोजगार के संसाधन कम होने के कारण यहां से आए दिन युवा पलायन कर जाते हैं।
सलोन विधानसभा सीट
सलोन में इस बार बीजेपी ने अशोक कोरी को टिकट दिया है। कांग्रेस ने अर्जुन पासी को, सपा ने जगदीश प्रसाद को और बसपा ने स्वाति सिंह को टिकट दिया है। 2017 में यहां भाजपा ने अपना परचम लहराया था। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दल बहादुर ने कांग्रेस के सुरेश चौधरी को 16055 वोट से शिकस्त दी थी। वहीं 2012 में यहां सपा की आशा किशोर विजयी हुई थीं। उन्होंने कांग्रेस के शिवबालक पासी को 20577 वोट से हराया था।
सलोन विधानसभा क्षेत्र सबसे प्रमुख समस्या रोजगार की है। यहां रोजगार के साधन नहीं होने के कारण युवा शहरों का रुख कर रहे हैं। रायबरेली के साथ इस पर भी पेयजल गंभीर समस्या है। ग्रामीण क्षेत्र के किसान सिंचाई के साधन नहीं होने के चलते परेशान हैं। हालांकि शारदा सहायक ने इस समस्या को कुछ हद तक कम करने का प्रयास जरूर किया है, लेकिन किसानों की बड़ी आबादी आज भी अभी अभाव में जीने को मजबूर है। इसके साथ ही क्षेत्र की सड़कों की स्थिति बेहद दयनीय है।
रायबरेली जिले में 6 विधानसभा सीटें आती है। जिसमें से बछरावां, हरचंदपुर, रायबरेली, सरेनी और ऊंचाहार में मतदान चौथे चरण में 23 फरवरी को होंगे जबकि सलोन में पांचवें चरण में चुनाव 27 फरवरी को होंगे।