भारतीय जनता पार्टी ने राज्य के मुस्लिम वोटरों पर अपनी नज़र जमा दी हैं। इसी के चलते यूपी निकाय और 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी ने मुस्लिम वर्ग के बीच सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत की है। इसी क्रम में भाजपा पसमांदा मुस्लिम बुद्धिजीवी सम्मेलन कर रही है। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा लखनऊ के क्राइस्टचर्च कॉलेज में आज इस सम्मेलन का आयोजित करेगा। माना जा रहा है कि इस सम्मेलन के जरिये बीजेपी पिछड़े और शोषण के शिकार 85 फीसदी पसमांदा मुस्लिम समाज को अपनी ओर खींचने की कोशिश करेगी। ऐसे में भाजपा का यह दांव विपक्षी पार्टियों का सिरदर्द काफी बढ़ा सकता है। क्योकि पीएम मोदी भी इससे पहले पसमांदा मुस्लिमों के हक को लेकर कई बार बात कर चुके हैं। बाराबंकी जिले में ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम मंच के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने बीजेपी की इस पहल का स्वागत करते हैं। वसीम राईन ने इसके लिये पीएम मोदी, सीएम योगी, संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का धन्यवाद भी किया।
दरअसल, तीन माह पहले जुलाई में बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हैदराबाद में हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पार्टी से परमांदा मुसलमानों तक पहुंच बढ़ाने का आह्वान किया था। ऐसे में राजधानी में होने जा रहे सम्मेलन को मुसलिम समुदाय में पार्टी की पैठ बढ़ाने की दिशा में बीजेपी के रोडमैप का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
बीजेपी सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री और मोर्चा के महामंत्री दानिश आजाद अंसारी का कहना है कि बीजेपी आज अल्पसंख्यक समाज की पहली पसंद है। इस सरकार में बिना भेदभाव को मुस्लिम समाज को लाभ मिल रहा है। मुस्लिमों को हर स्तर के बढ़ाने का प्रयास हो रहा है। इसका सीधा उदाहरण अभी हालमें हुए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को जीत मिली है. दोनों सीटों पर मुस्लिम वोटों की संख्या ठीक-ठाक है. यह इस बात को दशार्ता है कि मुस्लिमों की पसंद अब बीजेपी बन रही है. विपक्षी दल केवल वोट बैंक के चक्कर मे भ्रम फैलाते रहेंगे।
आपको बता दें कि निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी के सूत्रों का कहना कि बीजेपी ऐसे वार्ड और नगर पंचायतों में भी अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतार सकती है, जहां अधिकतर अल्पसंख्यक वोटर है। पार्टी के अलपसंख्यक मोर्चे ने इस मिशन पर काम शुरु कर दिया है। प्रदेश भर में मोर्चा की बैठकों का सिलसिला शुरु हो रहा है। 200 से ज्यादा नगर पालिका, नगर पंचायत की ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोट निणार्यक स्थिति में है। माना जा रहा है कि ये तैयारी सिर्फ निकाय चुनाव की नहीं बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है. इसी मकसद बीजेपी लगातार पसमांदा मुसलमानों की बात कर रही है ताकि अल्पसंख्यकों में सेंध लग सके।