Supreme Court stray dogs warn: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों (स्ट्रे डॉग्स) के प्रबंधन से जुड़े मामले में केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की घोर लापरवाही पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। 27 अक्टूबर 2025 को हुई सुनवाई में, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की तीन-जजों की बेंच ने अधिकांश राज्यों द्वारा अनुपालन हलफनामा दाखिल न करने पर सख्त रुख अपनाया।
कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (MCD) को छोड़कर, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर 2025 को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि मुख्य सचिव पेश नहीं हुए, तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है या सुनवाई को कोर्ट के ऑडिटोरियम में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। कोर्ट ने राज्यों की अनदेखी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब हो रही है।
मामले की पृष्ठभूमि और कोर्ट के निर्देश
यह मामला मूल रूप से दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे जुड़ी घटनाओं से शुरू हुआ था, जिसे बाद में देशव्यापी (पैन-इंडिया) समस्या घोषित किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (PCA Act, 1960) के आधार पर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए थे:
- कैप्चर, स्टरलाइजेशन और वैक्सीनेशन: आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी (स्टरलाइजेशन) और रेबीज के खिलाफ टीकाकरण (वैक्सीनेशन) अनिवार्य है।
- वापसी का आदेश: नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उसी इलाके में वापस छोड़ना होगा, क्योंकि सभी कुत्तों को शेल्टर होम में बंद रखना उनकी प्राकृतिक जीवनशैली के खिलाफ है।
- अपवाद: केवल हिंसक या आक्रामक कुत्तों को ही अलग रखा जा सकता है।
- फीडिंग पॉइंट्स: कुत्तों को खाना खिलाने के लिए नामित फीडिंग पॉइंट्स का उपयोग किया जाना चाहिए।
ये आदेश 22 अगस्त 2025 को संशोधित किए गए थे, जिसके तहत सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों को अनुपालन रिपोर्ट (हलफनामा) दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। राज्यों को दो महीने का समय दिया गया था, लेकिन तीन महीने बाद भी ज्यादातर राज्यों ने कोई जवाब नहीं दिया।
27 अक्टूबर की सुनवाई का निष्कर्ष
आज की सुनवाई में Supreme Court ने राज्यों की “लापरवाही” पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, खासकर दिल्ली सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया। जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि यह अनुपालन की कमी का मामला है, और अधिकारियों को अब जिम्मेदारी लेनी होगी।
3 नवंबर 2025 की सुनवाई महत्वपूर्ण होगी, जहां कोर्ट मुख्य सचिवों की उपस्थिति में अनुपालन रिपोर्ट की समीक्षा करेगा। कोर्ट आवारा कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए फंडिंग, एनजीओ की भूमिका या स्थानीय बॉडीज की जिम्मेदारी पर आगे के कड़े दिशा-निर्देश जारी कर सकता है। Supreme Court की यह सख्ती अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने और राष्ट्रीय स्तर पर इस समस्या के मानवीय प्रबंधन को सुनिश्चित करने का एक कड़ा संदेश है।










