सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि वे शैक्षणिक संस्थानों और अस्पताल परिसरों के चारों ओर उपयुक्त चारदीवारी कराएं जिससे आवारा कुत्तों की एंट्री रोकी जा सके। यह कदम परिसर में सुरक्षा बढ़ाने और जानवरों से उत्पन्न होने वाले खतरे को समाप्त करने का प्रयास है। कोर्ट की यह पहल आवारा कुत्तों से संबंधित बढ़ते खतरे और सुरक्षा जोखिमों को ध्यान में रखते हुए आई है।
कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, और अन्य संवेदनशील परिसरों की चारदीवारी का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। यह न केवल शिक्षार्थियों और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि परिसर के आसपास के लोगों की भी सुरक्षा में मददगार साबित होगा।
बढ़ती घटनाओं को देखते हुए आया सुप्रीम फैसाल
सरकारों को कोर्ट के आदेश का कड़ाई से अनुपालन करना होगा, साथ ही आवारा कुत्तों के सुरक्षित प्रबंधन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने पर भी ध्यान देना होगा। आवारा कुत्तों के लिए पशुशालाओं में सुरक्षा उपाय और संवेदनशील पुनर्वास नीतियों पर जोर दिया जाएगा ताकि उनकी भलाई भी सुनिश्चित हो सके।
यह निर्णय देश भर में शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की सुरक्षा के प्रति सरकार की जिम्मेदारी को बढ़ाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, आवारा कुत्तों द्वारा कभी-कभी हमले, संक्रमण आदि की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी हैं।
सरकारें इस दिशा में अग्रसर होकर परिसरों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कानूनी, तकनीकी और प्रशासनिक उपाय तेजी से अपनाएंगी। इससे न केवल परिसर सुरक्षित होंगे बल्कि वहां आने वाले लोगों को मानसिक शांति भी मिलेगी।
कोर्ट के इस आदेश से आवारा कुत्तों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं और असुविधाओं में कमी आने की उम्मीद है। साथ ही, यह पशु कल्याण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने का एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
