Nithari case: मंगलवार का दिन देश की दो सबसे चर्चित और लंबे समय से लंबित न्यायिक लड़ाइयों के लिए ऐतिहासिक रहा। नोएडा के निठारी गांव में 2005-2006 के बीच हुई बर्बर हत्याओं के मामले में, जिसे निठारी कांड के नाम से जाना जाता है, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में दोषी सुरेंद्र कोली को आखिरी बचे मामले में भी बरी कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कोली की क्युरेटिव याचिका को स्वीकार करते हुए तत्काल रिहाई का निर्देश दिया। उधर, उत्तर प्रदेश के कद्दावर समाजवादी पार्टी नेता आजम खान को भी रामपुर की MP/MLA कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। 2019 लोकसभा चुनाव से जुड़े एक भड़काऊ भाषण मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है, जिसके बाद वे अब जेल जाने से बच गए हैं।
सुरेंद्र कोली को सभी आरोपों से मिली मुक्ति
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने सुरेंद्र कोली Nithari case द्वारा दायर क्युरेटिव याचिका को स्वीकार करते हुए उसे बरी कर दिया। यह याचिका 2011 के उस फैसले के खिलाफ थी, जिसमें शीर्ष अदालत ने उसकी सजा को बरकरार रखा था।
Noida: SC overturns Surendra Koli’s death sentence in the Nithari murder case, orders his immediate release; the case dates back to 2006, when multiple children and young women’s skeletons were found near Moninder Singh Pandher’s house. Koli, the servant, had faced 16 death… pic.twitter.com/1ODyLvcoBe
— IANS (@ians_india) November 11, 2025
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने आदेश सुनाते हुए स्पष्ट किया कि Nithari case कोली को सभी आरोपों से बरी किया जाता है और 15 फरवरी 2011 का सजा बरकरार रखने वाला फैसला रद्द किया जाता है। पीठ ने सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की कि यदि इस एकमात्र मामले में सजा को बरकरार रखा जाता है, जबकि अन्य सभी मामलों में समान साक्ष्यों के आधार पर वह बरी हो चुका है, तो यह एक विसंगतिपूर्ण स्थिति होगी। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि यदि Nithari case कोली किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है, तो उसे तत्काल रिहा किया जाए। इस फैसले के साथ ही निठारी कांड के मामले में 17 साल की लंबी न्यायिक प्रक्रिया का अंत हुआ।
आजम खान को भड़काऊ भाषण मामले में जमानत
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को भी रामपुर की MP/MLA कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान दर्ज भड़काऊ भाषण मामले में आज (11 नवंबर 2025) फैसला सुनाया जाना था। अदालत ने उन्हें इस मामले में जमानत दे दी है।
यह मामला 24 अप्रैल 2019 को रामपुर के सिविल लाइंस कोतवाली में सहायक रिटर्निंग अधिकारी की शिकायत पर दर्ज हुआ था। खान पर चुनावी सभा के दौरान चुनाव आयोग पर तीखी टिप्पणी करने और मतदाताओं को उकसाने का आरोप था। उन पर मुख्य रूप से IPC की धारा $153\text{A}$ (समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाना) और $188$ (आदेश की अवज्ञा) लगी थी।
इस फैसले से आजम खान को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अगर उन्हें दोषी ठहराया जाता और 2 साल से अधिक की सजा होती तो उनकी अपील लंबित रहने तक उन्हें जेल जाना पड़ सकता था। जमानत मिलने से वह जेल जाने से बच गए हैं और अब वे इस कानूनी लड़ाई को ऊपरी अदालतों में जारी रख सकेंगे।