अंतरिक्ष प्रेमियों के लिए साल 2025 का अंत एक रोमांचक खगोलीय घटना लेकर आएगा। इंटरस्टेलर यानी दूसरे तारे प्रणाली से आए दुर्लभ धूमकेतु 3I/ATLAS का पृथ्वी के सबसे पास से गुजरने का समय नज़दीक आ रहा है। 19 दिसंबर 2025 को यह धूमकेतु हमारे सौर मंडल में अपनी अब तक की सबसे निकटतम स्थिति में होगा। हालांकि यह पृथ्वी से लाखों किलोमीटर दूर रहेगा, फिर भी वैज्ञानिक समुदाय और आम पर्यवेक्षकों के बीच इसकी चर्चा तेज़ है।
इस धूमकेतु का विचित्र व्यवहार—रंग में बदलाव, पूंछ का दिखाई देना और फिर गायब होना, तथा चमक में उतार-चढ़ाव—इसे अध्ययन के लिए बेहद मूल्यवान बनाता है। NASA और अन्य एजेंसियों के अनुसार, यह एक प्राकृतिक इंटरस्टेलर वस्तु है, जो हमारी आकाशगंगा से गुजरते हुए हमारे सौर मंडल में दाखिल हुई है।
Comet 3I/ATLAS क्या है?
धूमकेतु 3I/ATLAS को वैज्ञानिक इंटरस्टेलर कॉमेट कहते हैं, क्योंकि यह हमारे सौर मंडल का हिस्सा नहीं है। यह अब तक दर्ज इतिहास में केवल तीसरा ऐसा ऑब्जेक्ट है जो किसी दूसरे तारामंडल से हमारे क्षेत्र में प्रवेश करता हुआ देखा गया है। इससे पहले ओउमुआमुआ और 2I/Borisov जैसे ऑब्जेक्ट देखे गए थे।
इसके अनोखे व्यवहार में शामिल हैं:
रंग में लगातार बदलाव
पूंछ का बनना और गायब होना
चमक में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव
ऊर्जा से भरे गैस और बर्फ के फटने जैसी गतिविधियां
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह व्यवहार किसी भी ऊर्जावान, बर्फीली इंटरस्टेलर वस्तु में सामान्य माना जाता है।
क्या यह पृथ्वी के लिए खतरा है?
नहीं।
NASA ने स्पष्ट किया है कि धूमकेतु पृथ्वी से लगभग 270 मिलियन किलोमीटर की सुरक्षित दूरी पर रहेगा।
यह दूरी इतनी अधिक है कि किसी भी प्रकार का खतरा संभव नहीं है।
स्पेसक्राफ्ट द्वारा शुरुआती झलकियां
कई अंतरिक्ष मिशनों ने पहले ही इस धूमकेतु की झलक पकड़ी है, जैसे:
ESA का Juice मिशन
मंगल की कक्षा में घूम रहे रोबोटिक प्रोब्स
अन्य डीप-स्पेस टेलिस्कोप
इन सभी अवलोकनों से वैज्ञानिक धूमकेतु की संरचना, गैस और धूल की गतिविधि और इसकी कक्षा के बारे में बेहतर समझ प्राप्त कर रहे हैं।
X-Ray उत्सर्जन का कारण क्या है?
जैसा कि जापानी वैज्ञानिकों ने बताया है, धूमकेतु 3I/ATLAS एक्स-रे उत्सर्जित कर रहा है।
यह सुनने में भले ही आश्चर्यजनक लगे, पर यह एक सामान्य प्रक्रिया है।
कैसे बनते हैं एक्स-रे?
सूर्य की गर्मी धूमकेतु की सतह को गर्म करती है।
इससे गैसें निकलकर उसके चारों ओर एक बादल बनाती हैं।
यह बादल सूर्य की ओर से आने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स से टकराता है।
टकराव के दौरान ऊर्जा निकलती है, जिसे charge-exchange emission कहते हैं, और यही एक्स-रे उत्पन्न करता है।
क्या भारत में इसे देखा जा सकेगा?
अभी तक कोई निश्चित जानकारी नहीं है कि भारत से यह धूमकेतु दिखाई देगा या नहीं।
लेकिन एक बात स्पष्ट है—यह किसी भी देश में नंगी आंखों से दिखाई नहीं देगा।
इसे देखने के लिए क्या चाहिए?
कम से कम 8-इंच अपर्चर वाला बड़ा टेलिस्कोप
अत्यंत साफ और अंधेरा आसमान
देखने का सबसे अच्छा समय:
सूर्योदय से पहले के घंटे (पूर्व-सुबह)
जब आसमान सबसे अंधकारमय और स्थिर हो
यह धूमकेतु बहुत धीमी गति से आगे बढ़ता दिखाई देगा, इसलिए धैर्य आवश्यक है।
कैसे करें ट्रैक?
शौकिया खगोल वैज्ञानिक निम्नलिखित डिजिटल टूल्स की मदद ले सकते हैं:
NASA का “Eyes on the Solar System”
विभिन्न टेलिस्कोप-ट्रैकिंग मोबाइल ऐप्स
इनके माध्यम से आप धूमकेतु की लाइव पोज़िशन, अनुमानित कक्षा और दिशा पर नज़र रख सकते हैं।
भविष्य की यात्रा: क्या यह फिर लौटेगा?
नहीं।
धूमकेतु 3I/ATLAS कुछ महीनों तक हमारे अवलोकन में रहने के बाद फिर से अंतरतारकीय अंतरिक्ष की ओर चला जाएगा—और संभवतः कभी वापस नहीं आएगा।
वैज्ञानिकों के लिए यह एक दुर्लभ मौका है—दूसरे तारों के आसपास बने पदार्थ को करीब से समझने का अवसर।
हमारे लिए यह याद दिलाने वाला क्षण है कि हमारा सौर मंडल ब्रह्मांड से अलग नहीं है; बल्कि लाखों बाहरी वस्तुएं कभी-कभी यहां से होकर गुजरती रहती हैं।
FAQs
1. Comet 3I/ATLAS क्या है?
यह एक इंटरस्टेलर धूमकेतु है जो हमारे सौर मंडल के बाहर किसी अन्य तारा प्रणाली से आया है।
2. क्या यह पृथ्वी के पास आएगा?
यह पृथ्वी के पास तो आएगा, लेकिन लगभग 270 मिलियन किमी की सुरक्षित दूरी पर ही रहेगा।
3. क्या इसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है?
नहीं। इसे देखने के लिए बड़े और शक्तिशाली टेलिस्कोप की जरूरत होगी।
4. क्या भारत से यह दिखाई देगा?
अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। दृश्यता मौसम और स्थान पर भी निर्भर करेगी।
5. क्या यह फिर कभी लौटेगा?
संभावना बहुत कम है। यह फिर से अंतरतारकीय अंतरिक्ष में चला जाएगा।









