डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बढ़ती निर्भरता के साथ ही साइबर अपराधी भी नए-नए तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं। अब ठगों ने खुद को कानून और न्यायपालिका से जोड़कर लोगों में डर पैदा करना शुरू कर दिया है। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला मुंबई से सामने आया है, जहां एक महिला को फर्जी वर्चुअल कोर्ट सुनवाई के नाम पर 3.75 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
क्या है पूरा मामला?
कैसे शुरू हुआ फर्जी वर्चुअल कोर्ट स्कैम
मुंबई की रहने वाली एक महिला को एक कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ बताया। आरोपी ने महिला को डराते हुए कहा कि वह मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंस चुकी है और जल्द ही उसकी गिरफ्तारी हो सकती है।
जमानत के नाम पर रची गई साजिश
फर्जी चीफ जस्टिस ने महिला को एक नकली वर्चुअल कोर्ट सुनवाई में शामिल कराया।
महिला से उसकी संपत्ति
बैंक अकाउंट
निवेश की जानकारी
मांगी गई।
आरोपी ने भरोसा दिलाया कि अगर वह सहयोग करती है तो उसकी जमानत करवा दी जाएगी और पैसा बाद में ऑडिट के बाद वापस कर दिया जाएगा।
कब और कैसे ट्रांसफर हुआ पैसा
अगस्त से अक्टूबर के बीच हुए लेनदेन
पुलिस जांच में सामने आया कि महिला ने
अगस्त से अक्टूबर के बीच
अलग-अलग बैंक खातों में
कुल 3.75 करोड़ रुपये
ट्रांसफर किए।
जब लंबे समय तक पैसा वापस नहीं मिला, तब महिला को ठगी का शक हुआ और उसने पुलिस से संपर्क किया।
पुलिस जांच और आरोपी की गिरफ्तारी
कौन है आरोपी
इस केस की जांच मुंबई पुलिस के साइबर सेल ने की।
जांच के बाद पुलिस ने
46 वर्षीय जितेंद्र बियानी
सूरत से
को गिरफ्तार किया।
पहले भी कर चुका है ऐसे अपराध
पुलिस के अनुसार आरोपी पहले भी कई डिजिटल अरेस्ट स्कैम में शामिल रहा है।
एक अन्य मामले में उसने
86 वर्षीय महिला को
7 दिन तक वर्चुअल हिरासत में रखकर
1.1 करोड़ रुपये वसूले थे।
इस केस में आरोपी ने खुद को पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय का अधिकारी बताया था।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम क्या होता है?
समझिए आसान भाषा में
डिजिटल अरेस्ट स्कैम में ठग
फर्जी वीडियो कॉल
नकली गिरफ्तारी वारंट
डराने वाले कानूनी दस्तावेज
का इस्तेमाल करते हैं।
भारत के कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई प्रक्रिया मान्य नहीं है।
मुंबई पुलिस और सरकार की चेतावनी
लोगों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए
मुंबई पुलिस ने नागरिकों को चेताया है कि
अनजान कॉल या वीडियो कॉल पर भरोसा न करें
किसी भी अधिकारी की पहचान की पुष्टि करें
बैंक डिटेल, OTP या UPI जानकारी साझा न करें
सरकार के टूल्स
केंद्र सरकार ने लोगों की मदद के लिए
I4C डेटाबेस
Suspect Search टूल
शुरू किए हैं, जिनसे संदिग्धफोन नंबर
ईमेल आईडी
UPI हैंडल
की जांच की जा सकती है।
साइबर ठगी का शिकार होने पर क्या करें?
तुरंत 1930 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें
National Cyber Crime Portal पर शिकायत दर्ज करें
अपने बैंक को तुरंत जानकारी दें
सभी कॉल, मैसेज और ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड सुरक्षित रखें
FAQs
Q1. क्या भारत में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई प्रक्रिया होती है?
नहीं, भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट की कोई मान्यता नहीं है।
Q2. फर्जी वर्चुअल कोर्ट सुनवाई को कैसे पहचानें?
अगर कोई वीडियो कॉल पर पैसे मांगे या डराए, तो वह निश्चित रूप से फर्जी है।
Q3. साइबर ठगी की शिकायत कहां करें?
1930 हेल्पलाइन या National Cyber Crime Portal पर शिकायत करें।
Q4. क्या सरकारी अधिकारी वीडियो कॉल पर पैसे मांगते हैं?
नहीं, कोई भी सरकारी या न्यायिक अधिकारी इस तरह पैसे नहीं मांगता।
Q5. संदिग्ध कॉल या UPI आईडी की जांच कैसे करें?
सरकार के I4C और Suspect Search टूल की मदद से जांच की जा सकती है।



