Computer में महारथ हासिल करने के बाद भी घूम रहे हैं बेरोज़गार, तो इन कोर्सेस से बदलिए अपनी किस्मत

कंप्यूटर साइंस की डिग्री अब गारंटीड नौकरी की पहचान नहीं रही। आंकड़ों के अनुसार, इसमें बेरोजगारी बढ़ रही है। छात्रों को सच्चाई से रूबरू होते हुए स्किल्स और इंडस्ट्री की जरूरतों पर ज्यादा फोकस करना चाहिए

Computer Science & Unemployment: हाल के सालों में कंप्यूटर साइंस को सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला कोर्स माना गया है। बड़ी संख्या में छात्र यह सोचकर इसे चुनते हैं कि इस फील्ड में न केवल नौकरी की संभावनाएं अच्छी होती हैं, बल्कि सैलरी भी जबरदस्त मिलती है। लेकिन अमेरिका से सामने आए नए आंकड़े इस सोच से अलग तस्वीर दिखा रहे हैं।

आंकड़े क्या कह रहे हैं?

न्यूज़वीक की रिपोर्ट के अनुसार, जो कि न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व बैंक के डेटा पर आधारित है, कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट्स की बेरोजगारी दर 6.1% है। यह आंकड़ा कंप्यूटर साइंस को उन टॉप 10 कोर्सेज में शामिल करता है जिनमें बेरोजगारी सबसे ज्यादा है। इस लिस्ट में फिजिक्स (7.8%) और एंथ्रोपोलॉजी (9.4%) जैसे विषय उससे भी ऊपर हैं।

यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं क्योंकि लोग कंप्यूटर साइंस को हाई-डिमांड कोर्स मानते हैं। इससे जुड़े दूसरे क्षेत्र जैसे कि कंप्यूटर इंजीनियरिंग में भी बेरोजगारी की दर 7.5% तक है।

किन कोर्सेज में है कम बेरोजगारी?

इसके उलट, कुछ कोर्सेज में बेरोजगारी दर बेहद कम है।
इनमें शामिल हैं:

न्यूट्रिशन साइंस

कंस्ट्रक्शन सर्विसेज

सिविल इंजीनियरिंग

इन फील्ड्स में बेरोजगारी दर सिर्फ 0.4% से 1% के बीच है, जो बताता है कि आज के समय में कुछ पारंपरिक फील्ड्स भी बेहतर नौकरी के मौके दे रही हैं।

गलतफहमी और सच्चाई

HR कंसल्टेंट ब्रायन ड्रिस्कॉल ने बताया कि कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई को लेकर छात्रों को गलत उम्मीदें दी जाती हैं। स्टूडेंट्स यह मानकर चलते हैं कि टॉप यूनिवर्सिटी से डिग्री मिलते ही अच्छी नौकरी मिल जाएगी।

लेकिन हकीकत यह है कि जॉब मार्केट में कड़ा मुकाबला, कम मौके और तेजी से बढ़ता स्टूडेंट लोन ग्रेजुएट्स के लिए बड़ी परेशानी बन गया है। ब्रायन ने यह भी कहा कि आज के समय में किसी कैंडिडेट की यूनिवर्सिटी या बैकग्राउंड उसकी असली स्किल्स से ज्यादा अहमियत रखते हैं।

सोच बदलने की जरूरत

यह ट्रेंड साफ दिखाता है कि डिग्री की सोची-समझी वैल्यू और असली वैल्यू में बड़ा फर्क आ गया है। इसका मतलब है कि अब समय आ गया है कि छात्र और शिक्षक दोनों जॉब मार्केट की असली तस्वीर को समझें और उसी अनुसार करियर गाइडेंस दें।

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