Hydrogen Train : भारत की पहली हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रेन का लॉन्च अब जून 2025 तक टल गया है। पहले यह ट्रेन दिसंबर 2024 में शुरू होने वाली थी, लेकिन परीक्षण के दौरान आई तकनीकी दिक्कतों के कारण इसमें देरी हो रही है। विशेष रूप से, ट्रेन के हाइड्रोजन ईंधन सेल सिस्टम को उच्च भार क्षमता के साथ प्रभावी ढंग से काम करने के लिए उन्नत करने की आवश्यकता है।
हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रेन की विशेषताएं
यह ट्रेन 1,200 हॉर्सपावर के हाइड्रोजन इंजन से लैस है, जो इसे दुनिया की सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन संचालित ट्रेन बनाता है। यह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से बिजली उत्पन्न करती है, जिससे केवल भाप उत्सर्जित होती है और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।
परिचालन मार्ग और चुनौतियाँ
शुरुआत में, इस ट्रेन को हरियाणा के जींद-सोनीपत खंड पर चलाने की योजना है, जो लगभग 89 किलोमीटर लंबा है। यह मार्ग दिल्ली डिवीजन के अंतर्गत आता है। इसके अलावा, इसे कालका-शिमला जैसे पहाड़ी मार्गों पर भी चलाने की योजना है, जहां इसे कठिन मौसम और भूभागीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। इन चुनौतियों के मद्देनजर, ट्रेन को 2,200 से अधिक यात्रियों के साथ कम गति पर संचालन करने के लिए संशोधित किया जा रहा है।
निवेश और भविष्य की योजनाएँ
रेल मंत्रालय ने 2023-24 में 35 हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित ट्रेनों के विकास के लिए 2,800 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इन ट्रेनों का निर्माण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में किया जा रहा है। इसके साथ ही, इन ट्रेनों के संचालन के लिए आवश्यक ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी निवेश किया जा रहा है
पर्यावरणीय लाभ
हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रेनों का सबसे बड़ा लाभ उनका शून्य उत्सर्जन होना है। डीजल इंजनों के विपरीत, ये ट्रेनें केवल जल वाष्प उत्सर्जित करती हैं, जिससे वायु प्रदूषण में कमी आती है और यह पर्यावरण के लिए लाभदायक है।
तकनीकी चुनौतियों के बावजूद, भारत की पहली हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रेन का विकास देश के हरित ऊर्जा की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक है। इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन से भारत उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने हाइड्रोजन संचालित ट्रेनों का संचालन किया है, जैसे कि जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, और चीन।
भारत की पहली हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रेन का लॉन्च तकनीकी चुनौतियों के कारण जून 2025 तक स्थगित हो गया है। यह ट्रेन पर्यावरण के लिए लाभदायक होगी और देश के हरित ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।