Quantum Processors: दुनिया की बड़ी टेक कंपनियां क्वांटम कंप्यूटिंग को हकीकत बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही हैं। हाल ही में Microsoft ने अपने पहले क्वांटम प्रोसेसर Majorana 1 को पेश किया है, जिसे एक बड़ी तकनीकी छलांग माना जा रहा है। यह पारंपरिक क्वांटम चिप्स से अलग है क्योंकि इसमें इलेक्ट्रॉन-आधारित क्यूबिट्स की जगह Majorana पार्टिकल्स का उपयोग किया गया है।
Google के सीईओ सुंदर पिचाई ने हाल ही में एक सम्मेलन में कहा था कि, “क्वांटम कंप्यूटिंग वही है, जो 10 साल पहले AI थी—भविष्य की सबसे बड़ी तकनीकी क्रांति।” Microsoft का Majorana 1 इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कि यह तकनीक क्या है, कैसे काम करती है और इसका भविष्य पर क्या असर पड़ेगा।
Majorana 1 क्या है और यह कैसे काम करता है
Majorana 1, Microsoft का पहला क्वांटम प्रोसेसर है, जो एक नई प्रकार की सामग्री “टॉपोकंडक्टर” (Topoconductor) से बना है। इसे “टोपोलॉजिकल सुपरकंडक्टर” भी कहा जाता है। यह सामग्री Majorana कणों को विकसित और नियंत्रित करने में सक्षम है। यह पारंपरिक क्वांटम प्रोसेसर की तुलना में अधिक स्थिर और कम त्रुटियों वाला माना जा रहा है।
Majorana 1 की खास बातें
नई क्वांटम सामग्री ,यह किसी ठोस, द्रव या गैस की तरह नहीं बल्कि “टोपोलॉजिकल स्टेट” में रहता है।
बेहतर स्थिरता, अन्य क्वांटम चिप्स की तुलना में अधिक स्थिर और कम त्रुटियों वाला है।
स्केलेबल टेक्नोलॉजी, इसे 10 लाख (1 मिलियन) क्यूबिट्स तक बढ़ाया जा सकता है।
तेज और कुशल, यह अन्य क्वांटम चिप्स की तुलना में अधिक तेजी से डेटा प्रोसेस करता है।
पारंपरिक क्वांटम चिप्स बनाम Majorana 1
Google, Intel और IBM जैसी कंपनियों के क्वांटम प्रोसेसर अभी भी इलेक्ट्रॉन-आधारित क्यूबिट्स पर निर्भर हैं। यह प्रोसेसर बहुत अधिक त्रुटियों के साथ काम करते हैं और इन्हें सुधारने के लिए जटिल तंत्रों की जरूरत पड़ती है।
वहीं, Microsoft का Majorana 1 हार्डवेयर स्तर पर ही त्रुटियों को कम करने में सक्षम है, जिससे सुधार तंत्र की जरूरत काफी हद तक खत्म हो जाती है। Microsoft के वैज्ञानिक Chetan Nayak का कहना है कि, अगर आपका क्वांटम कंप्यूटर 1 मिलियन क्यूबिट्स तक नहीं पहुंच सकता, तो आप असली समस्याओं का समाधान नहीं कर पाएंगे।
व्यावसायिक उपयोग कब तक संभव होगा
हालांकि Majorana 1 क्वांटम कंप्यूटिंग की दिशा में बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसे आम उपयोग में आने में अभी समय लगेगा। इसे विकसित करने में Microsoft को 17 साल लगे हैं और यह अभी भी शुरुआती चरण में है। कंपनी का कहना है कि इसे पूरी तरह विकसित करने में कुछ साल और लग सकते हैं।
Majorana 1 का असर किन क्षेत्रों में दिखेगा
चिकित्सा और दवा अनुसंधान,नई दवाओं की खोज और इलाज में मदद।
जलवायु परिवर्तन समाधान, बैटरियों, सौर पैनलों और कार्बन कैप्चर तकनीकों में सुधार।
AI में विकास, प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी और ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में सुधार।
साइबर सुरक्षा, सुरक्षित डेटा एन्क्रिप्शन तकनीक का विकास।
भविष्य की संभावनाएं
अगर Microsoft, Google, Intel और IBM जैसी कंपनियां इसी तरह प्रगति करती रहीं, तो क्वांटम कंप्यूटिंग जल्द ही विज्ञान प्रयोगशालाओं से निकलकर हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन सकती है। Majorana 1 एक नए युग की शुरुआत है। हालांकि, आम लोगों पर इसका असर अभी सीधा नहीं दिख रहा, लेकिन आने वाले वर्षों में इसकी तकनीक पूरी दुनिया को बदल सकती है।