Auto News : टेस्ला की कारें भारत में आने को तैयार कब और कैसे यहां होगी एंट्री ,कितनी हो सकती है कीमत

भारत में टेस्ला की एंट्री होने जा रही है, लेकिन अगर कंपनी अपनी गीगाफैक्टरी स्थापित करती है, तो यह उसके लिए सस्ता और लाभदायक होगा। उत्पादन आसान होगा और ग्राहकों को किफायती कारें मिल सकेंगी।

Tesla's entry into the Indian market

Auto News अगले महीने से टेस्ला की कारें भारतीय बाजार में उपलब्ध हो सकती हैं। फिलहाल कंपनी आयात के जरिए अपनी गाड़ियां बेचेगी, लेकिन लंबे समय तक उसे इसी तरह कारोबार नहीं चलाना पड़ेगा। सरकार की नीतियों के चलते टेस्ला को जल्द ही भारत में अपने वाहनों का निर्माण शुरू करना होगा, नहीं तो उसे सस्ते में कारें आयात करने का फायदा नहीं मिल पाएगा।

भारत में कार निर्माण से मिलेगी सस्ती टेस्ला

टेस्ला की दुनिया भर में 5 गीगाफैक्टरी हैं। तीन अमेरिका में, एक जर्मनी में और एक चीन में। कंपनी अब मैक्सिको में भी एक गीगाफैक्टरी लगाने की योजना बना रही है। खबरों के मुताबिक, अगर टेस्ला भारत में हर साल 5 लाख यूनिट्स का उत्पादन करने वाली गीगाफैक्टरी लगाती है, तो यह उसे अमेरिका और जर्मनी की तुलना में काफी सस्ती पड़ेगी।

अगर यही फैक्टरी जर्मनी के बर्लिन में बनाई जाए, तो इसकी लागत 5 अरब डॉलर तक जा सकती है। अमेरिका के टेक्सास में यह लागत 7 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी। लेकिन भारत में इसे लगाने पर सिर्फ 2 से 3 अरब डॉलर का खर्च आएगा। इससे टेस्ला की उत्पादन लागत भी कम होगी और कारें भारतीय ग्राहकों के लिए सस्ती हो सकती हैं।

कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग की तलाश

भारत में ऑटोमोबाइल कंपनियां हर साल 62 लाख गाड़ियों का उत्पादन करने की क्षमता रखती हैं, लेकिन अभी केवल 75% क्षमता का ही उपयोग हो पाता है। टेस्ला इस बचे हुए 25% हिस्से का इस्तेमाल करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग का विकल्प तलाश रही है। हालांकि, अगर कंपनी खुद भारत में गीगाफैक्टरी लगाती है, तो यह उसके लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होगा।

कम लागत में ज्यादा मुनाफा

टेस्ला को भारत में फैक्टरी लगाने से सिर्फ निर्माण लागत ही नहीं, बल्कि लेबर कॉस्ट में भी बचत होगी। भारत में मजदूरी 2 से 5 डॉलर प्रति घंटा (लगभग 500 रुपये) पड़ती है, जबकि अमेरिका में यह 36 डॉलर और जर्मनी में 45 डॉलर प्रति घंटे तक जाती है। इसके अलावा, टेस्ला को भारत में स्थानीय स्तर पर पार्ट्स की सप्लाई, विशाल ग्राहक बाजार और सरकार से शुरुआती टैक्स छूट का भी फायदा मिलेगा।

कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग के नुकसान

अगर टेस्ला कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग का रास्ता अपनाती है, तो उसे कुछ नुकसान भी हो सकते हैं।

सप्लाई चेन पर कंपनी का पूरा नियंत्रण नहीं रहेगा।

कारों की डिलीवरी में देरी हो सकती है।

निर्माण लागत ज्यादा होगी।

अगर बाद में खुद की फैक्टरी लगानी पड़ी, तो पूरी प्रक्रिया जीरो से शुरू करनी होगी।

भारत में टेस्ला की एंट्री होने जा रही है, लेकिन अगर कंपनी अपनी गीगाफैक्टरी स्थापित करती है, तो यह उसके लिए सस्ता और लाभदायक होगा। भारत में निर्माण से लागत कम होगी, उत्पादन आसान होगा और ग्राहकों को किफायती टेस्ला कारें मिल सकेंगी।

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