लखनऊ। जब फसल खराब होती हैं तो किसानो को कितना नुकसान होता हैं। फिर भी वो हार नहीं मानते और फसल को सही करने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं।अगर फसल खराब होने की बात करे तो फसल मौसम में हो रहे बदलाव के कारण खराब होती हैं अभी हाल ही में हरी मिर्च की फसल में रोग भी लगने लगे हैं। इसके लिए किसानों को नीम के अर्क का प्रयोग करना चाहिए। अगर नीम की खली उसके जड़ों में डाला जाए तो पौधे पुष्ट होंगे। इसके साथ ही उन्हें तमाम रोगों से निजात मिलेगी।
सब्जियों में नीम का प्रयोग बहुत लाभ दायक
इस संबंध में सब्जी अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डाॅ एपी सिंह ने बताया कि सब्जियों में नीम का प्रयोग बहुत लाभ दायक होता है। इससे तमाम रोगों का उपचार दूसरी दवाओं की अपेक्षा कम लागत में की जा सकती है। यह प्रयोग सिर्फ जैविक खेती के लिए ही नहीं, उर्वरक डालने वाले किसानों के लिए भी अच्छा है।आगे डॉक्टर ने कहा मिर्च में सर्वाधिक थ्रिप्स रोग का प्रभाव होता है। इस रोग को वैज्ञानिक भाषा में सिटरोथ्रिटस डोरसेलिस हुड कहते हैं। छोटी अवस्था में ही कीट पौधों की पत्तियों एवं अन्य मुलायम भागों से रस चूसते हैं
छिड़काव करना फायदेमंद होता है
जिसके कारण पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ कर नाव के समान हो जाती है। इसके लिए भी नीम बीज का अर्क चार प्रतिशत में छिड़काव करना फायदेमंद होता है। इसके साथ ही एसिटामिप्रिड या इमिडक्लोप्रिड .3 ग्राम एक लीटर या थायोमिथम्जाम .3 ग्राम एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।पर्ण कुंचन रोग के संबंध में भी उन्होंने बताया कि यह रोग विषाणु जनित होता है, जो कि तंबाकूपर्ण कुंचन विषाणु से होता है।
पौधों को हटाना ही सबसे अच्छा तरीका
इस रोग के कारण पौधें की पत्तियां छोटी होकर मुड़ जाती है तथा पौधा बोना यानि छोटा हो जाता है। यह रोग सफेद मक्खी कीट के कारण एक से दूसरे पौधे पर फैलता है। इस रोग के लिए कोई भी दवा बहुत असरकारक नहीं है। इसके लिए पौधों को हटाना ही सबसे अच्छा तरीका है। और एक बार नीम का भी प्रयोग कर देख सकते हैं आप
ये भी देखिये:- Thank God: फिल्म का विरोध हुआ जारी, कायस्थ महासभा ने प्रतिबंध लगाने की मांग, फिल्म को बैन करने की आयी नौबत